धनबाद(DHANBAD): कोल इंडिया का उत्पादन अभी आउटसोर्स कंपनियों के भरोसे चल रहा है. 55 प्रतिशत उत्पादन में ठेका मजदूरों की महती भूमिका है. वैसे, सिंगरौली कोलियरी कंपनी लिमिटेड के कोयलाकर्मियों को जोड़ दिया जाए, तो कोल इंडिया के पैरोल पर लगभग ढाई लाख कर्मी है. ठेका कर्मियों का अधिकृत आकड़ा 90 हज़ार के आस पास बताया जाता है. लेकिन असंगठित क्षेत्र में कार्य कर रहे कर्मियों की वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक है. मतलब कोल इंडिया के उत्पादन का बड़ा हिस्सा ठेका मजदूरों के कंधे पर है. लेकिन पिछले साल भी इन पर कोई "कृपा दृष्टि" बोनस के मद में नहीं दिखाई गई थी और इस साल भी नहीं दिखाई गई है.धनबाद के BCCL का तो 90 प्रतिशत प्रोडक्शन आउट सोर्स के भरोसे होता है.
उत्साह में अधिक और विश्वास में कम तरीके से उठा मुद्दा
बोनस की बैठक में ठेका मजदूरों को बोनस देने का मुद्दा यूनियनों ने उठाया जरूर लेकिन यह उत्साह में अधिक और विश्वास में कम था. मैनेजमेंट ने कहा कि विभागीय कर्मियों की तरह इन्हें बोनस देने का कोई प्रावधान नहीं है. हां, इस बात का आश्वासन जरूर मिला कि सीएमडी मीट में ठेका मजदूरों को लेकर कुछ विचार किया जाएगा. यानी कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट के अनुसार ठेका मजदूरों को कुछ भुगतान मिल सकता है. धनबाद कोयलांचल की बात करें तो ठेका मजदूर की संख्या कम नहीं है. अधिकृत आंकड़े 6000 से 7000 के बीच ठेका मजदूरों की संख्या बताते हैं लेकिन सच्चाई इससे कुछ अलग है. धनबाद में तो इन्हीं ठेका मजदूरों के भरोसे यूनियन चलाने वालों की राजनीति चमकती है. उत्पादन के बाद भी उनकी भूमिका होती है. ट्रक लोडिंग से लेकर अन्य कामों में ठेका मजदूर ही हिस्सा बनते है.
धनबाद में ठेका मजदूरों के भरोसे ही चमकती है राजनीति
हर एक लोडिंग पॉइंट पर मजदूरों का दंगल होता है और यह दंगल किसी न किसी श्रमिक संगठनों से जुड़ा होता है. या कह सकते हैं कि श्रमिक संगठन इन्हें अपने से जोड़ लेते है. फिर तो शुरू हो जाती है रंगदारी. अक्सर यहां के लोडिंग प्वाइंटों पर मारपीट, बमबाजी, फायरिंग होती रहती है. जिस लोडिंग पॉइंट पर जिन मजदूर संगठन से जुड़े अधिक दंगल होंगे, वहां उस संगठन की तूती बोलती है. लेकिन जब बोनस की बात आती है तो उनकी हकमरी की जाती है. कोयलाकर्मियों को पिछले साल जहां 76 ,500 बोनस के मद में भुगतान हुआ था ,वही इस साल 85000 बोनस देने पर सहमति बनी है.झारखण्ड में कोल् इंडिया की तीन अनुषंगी इकाइयां बीसीसीएल, सीसीएल, सीएमपीडीआईएल है . साथ ही ई सी एल की तीन बड़ी इकाइयां राजमहल ,मुगमा और चितरा झारखंड में है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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