पलामू (PALAMU) : हैदरनगर की दो मस्जिदों भाई बिगहा बड़ी मस्जिद और बाजार मस्जिद में तरावीह मुकम्मल हो गई. तरावीह मुकम्मल होने के बाद सूरा ए तरावीह की शुरुआत की गई. रमजान-उल-मुबारक की चांद रात से बाजार मस्जिद में हाफिज मोहिउद्दीन साहब और भाई बिगहा बड़ी मस्जिद में हाफिज सज्जाद साहब ने क्रमश: तीन और चौदह दिनों में लोगों को पूरा कुरान शरीफ सुनाया. तरावीह मुकम्मल होने के बाद दोनों मस्जिदों में मिलाद शरीफ का आयोजन किया गया.
भाई बिगहा बड़ी मस्जिद में मौलाना अहमद अली खां रजवी ने कहा कि रमजान-उल-मुबारक का महीना बरकतों और फजीलत से भरा होता है. उन्होंने कहा कि इस महीने में की गई इबादत और गरीबों-मिसकिनों की मदद का सत्तर गुना सवाब मिलता है. कहा कि रोजा सभी मर्दों और औरतों पर फर्ज है. सिर्फ बीमारी और सफर की हालत में मोहलत मिलती है. इस महीने के बाद इसे मुकम्मल करने का हुक्म है. उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति अपनी जान का फितरा और अपने माल की जकात अदा करता है, अल्लाह उसे पूरा साल अपनी हिफाजत में रखता है. तरावीह में पूरा कुरान सुनने के बाद ईद का चांद दिखने तक सूरा ए तरावीह पढ़ी जाती है.
सूरा ए तरावीह की बड़ी फजीलत भी बयान की गई है. बाजार मस्जिद में तरावीह पढ़ाने वाले हाफिज मोहिउद्दीन साहब ने कहा कि अल्लाह ने रमजानुल मुबारक महीने में प्रत्येक इबादत के बदले सत्तर गुना सवाब देने का वादा किया है. उन्होंने कहा कि इस्लाम में रिश्तेदारों और पड़ोसियों की खैरियत पूछने और जरूरत के वक्त उनकी मदद करने का हुक्म है. अमीर लोगों द्वारा दी जाने वाली जकात पर पहला हक आर्थिक रूप से कमजोर रिश्तेदारों और पड़ोसियों का होता है. उन्होंने कहा कि रमजानुल मुबारक महीने में लोगों के लिए इफ्तार करना सुन्नत है, इससे काफी सवाब मिलता है. लोगों ने तरावीह पढ़ाने वाले दोनों मस्जिदों के हाफिजों को बधाई दी. उन्हें माला पहनाकर और पैसे देकर विदा किया गया.
इस मौके पर भाई बिगहा मस्जिद के सदर हाफिज सलाउद्दीन, सचिव शहजादा खान, सज्जू खान, अंसार खान, बशीर अहमद, कैंसर अहमद, रकीब हुसैन, दारा कुरेशी, बाजार मस्जिद के मुखिया अमीनुल हक अंसारी, मतीन खान, फैयाज आलम, शराफुद्दीन, यासीन, शमीम राईन, बब्लू अहमद, डॉ. तमीज, डॉ. फिरदौस, इरफान अहमद, परवेज अहमद, दिलकश अहमद, मुख्तार अंसारी, शाहिद अली आदि मौजूद थे. सैकड़ों लोग मौजूद थे.
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