टीएनपी डेस्क(TNP DESK):झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 खत्म होते ही सभी विधायक और मंत्री अपने अपने काम में जुट गये, लेकिन अब भी झारखंड की राजनीतिक गलियारों में हार और जीत के चर्चे हो रहे है.हारे हुए नेताओं की जहां कमियां खोजी जा रही है, तो वहीं जीते हुए विधायकों की काबिलियत की बात हो रही है.वहीं कोल्हान के पूर्वी विधानसभा सीट से पहली बार जीत कर झारखंड विधानसभा पहुंचनेवाली विधायक पूर्णिमा दास साहू की भी खूब चर्चा हो रही है, तो आज हम कोल्हान की एक ऐसी नवनिर्वाचित महिला विधायक के बारे में बात करेंगे, जिनकी किस्मत रात रातों चमक उठी, उन्हे महज कुछ दिनों में वो सारा कुछ हासिल हो गया, जिसके लिए कुछ नेताओं को लंबा संघर्ष करना पड़ता है.
पहली बार में ही हीट हो गई पूर्णिमा दास
आपको बताये कि पूर्णिमा दास साहू झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में उड़ीसा के राज्यपाल रघुवर दास की पुत्रवधू है.कोल्हान का पूर्वी सिंहभूम सीट शुरु से ही बीजेपी का गढ़ माना जाता है.जहां से पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास पांच बार विधायक रह चुके है, लेकिन वर्तमान में वे उड़ीसा के राज्यपाल के पद को संभाल रहे है, जिसकी वजह से वो झारखंड विधानसभा चुनाव नहीं लड़ पायें, लेकिन बीजेपी ने इस सीट से बड़ा दाव खेला और इसी विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी डॉ अजय कुमार के खिलाफ रघुवर दास की पुत्रवधू पूर्णिमा दास साहू को मैदान में उतार दिया.वहीं पूर्वी विधानसभा की जनता ने पूर्णिमा दास को भर भरकर वोट के रुप में आशीर्वाद दिया, और इनको विधायक बनाकर विधानसभा पहुंचा दिया.
ससुर रघुवर दास की वजह से मिली जीत
वहीं पूर्णिमा दास साहू की जीत के बाद चर्चा इस बात की हो रही है कि आखिर कैसे कांग्रेस के धुरंधर नेता माने जानेवाले कांग्रेस प्रत्याशी डॉ अजय कुमार हार गये, जबकि वे सांसद भी रह चुके है.वहीं जनता के बीच अच्छी पकड़ भी रखते है, और चुनाव के समय खूब घूम घूमकर अपने लिए वोट भी मांगा, तो वहीं इसके विपरीत विधायक पूर्णिमा दास साहू भले ही राजनीतिक घराने की बहू है, लेकिन राजनीति से इनका दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं था, तो आपको बताये कि पूर्वी विधानसभा से जीत हासिल करनेवाली पूर्णिमा दास को अपने ससुर रघुवर दास की वजह से यहां से टिकट मिला, तो वहीं उनके समर्थकों की वजह से उनको जीत भी मिली.
पढ़ें कैसे साधारण लड़की कैसे बन गई राजनीतिक घराने की बहू
अब जान लेते है कि आखिर पूर्णिमा दास साहू की पहचान क्या है, तो आपको बताये कि पूर्णिमा दास साहू का जन्म छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में बड़े ही साधारण परिवार में हुआ.उनके पिता एक बिजनैसमैन है, और माता जी पेशे से टीचर है.वहीं पूर्णिमा दास ने महंत लक्ष्मी नारायण दास कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है.पूर्णिमा दास पत्रकार भी रह चुकी है.वहीं इनके जीवन में तब बड़ा मोड आया जब साधारण परिवार में जन्म लेने के बावजूद उनके लिए एक ऐसे राजनीतिक बड़े घराने का रिश्ता आया.ये रिश्ता कोई और नहीं झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के बेटे ललित दास का था.
इस तरह रातों रात चमकी किस्मत
झारखंड की राजनीति में इतना बड़ा कद होने के बाद भी रघुवर दास ने अपने बेटे के लिए किसी रईस घर की बेटी को बहू बनाने की जगह एक साधारण परिवार को चुना, और उनके हिसाब से ही सारी व्यवस्थाएं भी की, ताकि वधू पक्ष के लोगों को ऊंच नीच का भेदभाव नहीं रहे.जब ये बात लोगों को पता लगी, तो रघुवर दास की खूब तारीफ हुई.झारखंड के मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए रघुवर दास ने बड़े ही साधारण तरीके से अपने बेटे की बारात निकाली, वो शालीमार कुर्ला एक्सप्रेस की तीन एसी बोगियों में 8 मार्च 2021 को बारात लेकर रायपुर पहुंचे, और बेटे की शादी में जमकर डांस भी किया.इस तरह से रातों रात एक साधारण लड़की राजनीतिक घराने की बहू बन गई.
पूर्णिमा दास साहू की एक बेटी भी है
वहीं पूर्णिमा दास के पति ललित दास सामाज सेवक के रुप में काम करते है, ललित दास ने रांची के बीआईटी मेसरा से पढ़ाई की है.वहीं वर्तमान में टाटा स्टील के एचआरएम डिपार्टमेंट में असिस्टेंट मैनेजर के तौर पर काम करते है.इनकी शादी के तीन साल पूरे हो चुके है.वहीं इनकी एक बेटी भी है.जब पूर्णिमा दास को इस बार के झारखंड विधानसभा चुनाव में मौका दिया गया, तो उन्होने अपने ससुर की राजनीतिक धरोहर को आगे बढ़ाने का काम किया.पूर्णिमा दास ने जीत के बाद लोगों से वादा किया है कि वो विधानसभा में लोगों की समस्याओं को लेकर आवाज उठायेंगी.
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