धनबाद(DHANBAD) : 2024 'विधानसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद झरिया में किसी न किसी बहाने तनाव कायम हो जा रहा है. कुजामा से शुरू हुआ विवाद कतरास मोड़, झरिया में फायरिंग तक पंहुचा. फिर सिंदरी में गुरुवार को सिंह मेंशन और रघुकुल समर्थक आपस में टकरा गए. यह टकराहट दो चरणों में हुई. कुछ लोगों के घायल होने की भी सूचना है. जानकारी के अनुसार भाजपा नेता और सिंह मेंशन समर्थक लक्की सिंह और रघुकुल समर्थक वेद प्रकाश ओझा के समर्थकों के बीच गुरुवार को दो बार अलग-अलग जगह पर मारपीट हुई. इसमें दो लोग घायल हुए है. घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है. सूचना के अनुसार सुबह करीब 11 बजे जय हिंद मोड़ के निकट वेद प्रकाश ओझा के समर्थक रोहित सिंह के साथ मारपीट हुई.
सिंदरी में समर्थकों के बीच दो चरणों में हुई मारपीट
जिससे वह घायल हो गया. मारपीट करने के बाद लक्की सिंह के समर्थकों ने रोहित सिंह को सिंदरी थाना ले जाकर पुलिस को सौंप दिया. सिंदरी पुलिस घायल रोहित सिंह को इलाज के लिए चासनाला ले गई, जहां से उसे धनबाद रेफर कर दिया गया. रोहित सिंह की पिटाई से वेद प्रकाश ओझा समर्थकों में आक्रोश बढ़ गया. शाम करीब 5:30 बजे अमृत सिंह को घेर कर पिटाई कर दी. जिसमें अमृत सिंह का सिर फट गया. पुलिस ने अमृत सिंह को इलाज के लिए चासनाला भेजी. वहां से उसे भी धनबाद रेफर कर दिया गया. अमृत सिंह, लक्की सिंह का समर्थक बताया जाता है. जो भी हो, लेकिन चुनाव परिणाम के बाद सिंह मेंशन और रघुकुल समर्थक छोटी-छोटी बातों पर टकरा जा रहे है.
10 जनवरी को झरिया में हुई थी फायरिंग, शशि सिंह पर हुआ मुक़दमा
10 जनवरी को झरिया में विधायक रागिनी सिंह के कार्यालय के बाहर फायरिंग की गई. इसके पहले कुजाम में आउटसोर्सिंग को लेकर सिंह मेंशन और रघुकुल समर्थक आमने-सामने हुए थे. वहां फायरिंग भी हुई थी. कतरास मोड़ में फायरिंग की घटना के बाद विवाद बढ़ा, विधायक रागिनी सिंह ने सुरेश सिंह हत्याकांड के फरार आरोपी शशि सिंह पर फायरिंग करने का आरोप लगाया. शशि सिंह जेल में बंद रामधीर सिंह के पुत्र है. रामधीर सिंह का परिवार फिलहाल रघुकुल के साथ है. कई दिनों की जांच पड़ताल के बाद अंतत झरिया थाने में शशि सिंह पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है. बता दें कि 2024 के विधानसभा चुनाव में रागिनी सिंह भाजपा के टिकट पर चुनाव में विजई रही, वहीं रघुकुल की पूर्णिमा नीरज सिंह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव हार गई. 2019 में पूर्णिमा नीरज सिंह ने रागिनी सिंह को हराकर चुनाव जीता था. तो 2024 में रागिनी सिंह ने पूर्णिमा नीरज सिंह को चुनाव हराकर विजई हुई.
धनबाद की सियासत में सिंह मेन्शन का रहा है दबदबा
धनबाद की सियासत में 2009 के चुनाव तक सिंह मेंशन का दबदबा था. सूर्यदेव सिंह 1977 से 1991 तक झरिया सीट से विधायक रहे. सियासत में दबदबा रखने वाला सिंह मेंशन 2009 के चुनाव तक एकजुट था. सूर्यदेव सिंह के निधन के बाद उनकी विरासत उनके भाई बच्चा सिंह ने संभाली. बच्चा सिंह विधायक रहे, झारखंड सरकार में मंत्री भी बने लेकिन साल 2005 में बच्चा सिंह (अब स्वर्गीय) को झरिया सीट सूर्यदेव सिंह की पत्नी कुंती देवी के लिए खाली करनी पड़ी. बच्चा सिंह बोकारो से चुनाव मैदान में उतरे लेकिन हार मिली. यह बात बच्चा सिंह को नागवार लगी और इसी को सूर्यदेव सिंह के परिवार में दरार की शुरुआत कहा जाता है. सूर्यदेव सिंह और उनके भाइयों के बच्चे बड़े हुए तो राजनीतिक विरासत से लेकर बिजनेस, ट्रेड यूनियन और संपत्ति को लेकर आपसी टकराव बढ़ने लगा. दरार बढ़ी तो आवास अलग हुए. सूर्यदेव सिंह के भाई राजनारायण सिंह का परिवार सिंह मेंशन छोड़ रघुकुल में रहने लगा. बच्चा सिंह भी रघुकुल समर्थक हो गए.राजनारायण सिंह के बड़े बेटे नीरज सिंह राजनीति में सक्रिय हो गए.
नीरज सिंह कांग्रेस के टिकट पर 2014 में झरिया से चुनाव लड़ा था
नीरज सिंह कांग्रेस के टिकट पर 2014 के झारखंड चुनाव में झरिया सीट से उतर गए.नीरज के सामने सूर्यदेव सिंह के पुत्र संजीव सिंह ने बीजेपी के टिकट पर ताल ठोक दी. दो चचेरे भाइयों की चुनावी फाइट में नतीजा संजीव सिंह के पक्ष में गया. नीरज चुनाव हार गए. वे धनबाद के डिप्टी मेयर बने और जनता की समस्याओं को लेकर उनके प्रयास की तारीफ होने लगी. इसी बीच बदमाशों ने मार्च 2017 में स्टील गेट के व्यस्ततम इलाके में गोली मारकर उनकी हत्या कर दी. हत्या का आरोप संजीव सिंह पर लगा और वह अब तक जेल में हैं. नीरज सिंह और संजीव सिंह, दोनों चचेरे भाइयों की राजनीतिक विरासत को अब उनकी पत्नियां संभाल रही हैं. कांग्रेस में रहे नीरज सिंह की हत्या के बाद पूर्णिमा नीरज सिंह ने कमान संभाल ली. वहीं, संजीव सिंह के जेल जाने के बाद से सियासी मोर्चे पर उनकी पत्नी रागिनी सिंह डट गई है. अब तो रामधीर सिंह का परिवार भी सिंह मेन्शन से हटकर अलग पृथ्वी निवास में रहने लगा है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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