पंजाब उतर आया था कोयलांचल में, पंजाब की पारंपरिक लोहड़ी के लोकगीतों पर झूमा धनबाद


धनबाद(DHANBAD): शुक्रवार को पंजाब उतर आया था धनबाद में. पंजाब में गन्ने की फसल कट गई होगी और नई फसल से गुड़ तैयार हो गया होगा और उसी गुड़ का प्रयोग लोहरी त्यौहार में होता है. अन्य फसल भी घर आ गए होंगे और उनका भी उपयोग त्यौहार में किया गया होगा. पंजाब की पारंपरिक लोहड़ी के लोकगीतों से शुक्रवार को धनबाद के कई इलाके गुंजायमान हुए. धनबाद के प्रसिद्ध शक्ति मंदिर में भी लोहड़ी का सामूहिक आयोजन किया गया. शक्ति मंदिर कमेटी के सदस्यों ने लोहड़ी प्रज्वलित की और अनुष्ठान पूरा किया. लोहड़ी का दिन पंजाब के किसानों के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण होता है क्योंकि लोहड़ी के अगले दिन से नए साल की शुरुआत हो जाती है.
बेटी और बहू को उपहार देने की भी है परंपरा
इस मौके पर बेटी और बहू को उपहार भी दिए जाने की परंपरा है. धनबाद के शक्ति मंदिर में लगभग ढाई दशक से लोहड़ी का सामूहिक आयोजन किया जाता है. आयोजकों की मानें तो पहले इसका आकार और प्रकार बृहद था लेकिन कोरोना को देखते हुए इस बार कई पाबंदियां लगा दी गई थी. 2023 में शक्ति मंदिर में मंदिर के सदस्यों, उनके परिवार जन और उनके आगंतुकों के लिए ही अनुमति दी गई थी. लोहड़ी का त्यौहार कोयलांचल में अधिक धूमधाम से मनाया जाता है.
शक्ति मंदिर में शुक्रवार की शाम झूमते लोगो ने मनाई लोहड़ी
धनबाद के शक्ति मंदिर में शुक्रवार की शाम को झूमते हुए लोगों ने खुशियां मनाई. प्रज्वलित अग्नि में चना, रेवड़ी, मकई आदि डाले गए और लोहड़ी के गीतों पर महिला-पुरुष सभी झूमते नजर आये. मकर संक्रांति के एक दिन पहले लोहड़ी मनाई जाती है. इस त्यौहार से जुड़ी मान्यता के अनुसार जिस घर में नई-नई शादी हुई होती है या जिस घर में बच्चे का जन्म हुआ होता है, उस परिवार के लोग बेहद खास अंदाज में लोहड़ी मनाते है. नई नवेली दुल्हन और जन्मे बच्चे की पहली लोहड़ी बहुत खास मानी जाती है. इसके साथ ही इस त्यौहार पर लोग अच्छी पैदावार के लिए ऊपर वाले और प्रकृति को धन्यवाद करते हैं. साथ ही आने वाले समय में अच्छी फसल की कामना करते है.
रिपोर्ट: शाम्भवी सिंह, धनबाद
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