लातेहार(LATEHAR): जिले के चंदवा प्रखंड के चकला (बाना) गांव में 2000 मेगावाट का पावर प्लांट अभिजीत ग्रुप द्वारा लगाया जाना था. इसके लिए राज्य सरकार से एमओयू करने के बाद कंपनी को भारत सरकार द्वारा कोल ब्लॉक का आवंटन भी किया गया था. वहीं, राज्य सरकार से मिले एनओसी, कॉल ब्लॉक और जमीन के आधार पर कंपनी ने कई अलग-अलग बैंकों से करोड़ों रुपए का कर्ज लिया और प्लांट निर्माण का काम शुरू कर दिया था.
एनसीएलटी कोर्ट के कोलकाता बेंच में दायर हुआ मामला
हालांकि, कुछ समय बात कंपनी को आवंटित चकला कॉल ब्लॉक रद्द कर दिया गया. जिसके बाद कंपनी का निर्माणाधीन पावर प्लांट बंद हो गया. जिसके बाद बैंकों ने insolvency & bankrupcy code 2016 कानून के तहत अपने बकाया रुपए की वसूली के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) कोर्ट के कोलकाता बेंच में आवेदन करते हुए मामला दायर किया.
पंकज धानुका की यहां होती है एंट्री
दरअसल, मामला दायर होने के बाद एनसीएलटी कोर्ट ने मामले के निष्पादन और बैंक के बकाए की रिकवरी के लिए 10 अक्टूबर 2018 को पंकज धानुका को रिजोल्यूशन प्रोफेशनल (RP) नियुक्त किया लेकिन उनके द्वारा कोई हल नहीं निकल पाया. जिसके बाद एनसीएलटी कोर्ट ने 8 अक्टूबर 2021 को प्लांट की नीलामी की प्रक्रिया का आदेश देते हुए पंकज धानुका को रिजोल्यूशनल प्रोफेशनल से लिक्विडेटर बना दिया.
असाइनमेंट को करने से रोकने का आदेश हुआ पारित
12 अप्रैल 2022 को insolvency & bankrupcy board of india (IBBI) की डिसीप्लिनरी कमिटी ने पंकज धानुका को एक अन्य कंपनी (DTTILLP) के सलाहकार के पद पर होने के कारण 1 साल तक किसी भी तरह के असाइनमेंट को करने से रोकने का आदेश पारित किया. जारी आदेश को चुनौती देते हुए लिक्विडेटर पंकज धानुका ने दिल्ली उच्च न्यायालय में अर्जी दी. जिस पर 12 अप्रैल 2022 को उच्च न्यायालय ने दोनों पक्षों के दलीलों को सुनने की बात कहते हुए मामले की अगली तारीख 14 नवंबर 2022 तय की.
पंकज धानुका ने अपारदर्शी तरीके से शुरू किया उठाव
कोर्ट में सुनवाई जारी रहते हुए ही बिना कोई स्पष्ट आदेश के लिक्विडेटर पंकज धानुका ने नाटकीय रूप से प्लांट के परिसंपत्तियों के परीसमापन (स्क्रैप) की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया. पंकज धनुका के द्वारा इस बाबत आनन-फानन में पारदर्शिता न बरतते हुए कोलकाता के अंग्रेजी अखबारों में प्लांट के स्क्रैप का टेंडर जारी कर दिया. लिक्विडेटर पंकज धानुका द्वारा अपारदर्शी प्रक्रियाओं के तहत मनमाने ढंग से बिना टेंडर सक्सेसर का आदेश सार्वजनिक किए हुए 17 अक्टूबर 2022 से प्लांट के स्क्रैप का उठाव शुरू कर दिया गया. बता दें कि लिक्विडेटर पंकज धानुका द्वारा मनमाने, गैर कानूनी प्रक्रिया, स्थानीय रैयतों, बकायेदारों, कामगारों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को बिना विश्वास में लिए हुए लगातार स्क्रैप उठाव का काम किया जा रहा है.
स्थानीय लोगों ने किया विरोध
पंकज धानुका के द्वारा इस तरह से किए जा रहे स्क्रैप के उठाव से स्थानीय लोग, रैयत, जनप्रतिनिधि और हितधारकों में भारी गुस्सा है और इस प्रक्रिया के खिलाफ निरंतर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.
स्थानीय लोगों ने दायर की याचिका
पंकज धानुका के द्वारा लगातार स्क्रैप के उठाव के बाद स्थानीय रैयत दीपू कुमार सिन्हा और बकायदार धीरज जायसवाल ने लीगल सॉलिसिटर कंपनी के सौरभ श्रीवास्तव के माध्यम से दिल्ली उच्च न्यायालय में वहां की प्रतिष्ठित कानूनी कंपनी इक्विकॉर्प एसोसिएट्स के साथ मिलकर अपने अधिवक्ताओं आनंद श्रीवास्तव, आशीष श्रीवास्तव और समझयोर लेपचा न्यू दिल्ली के माध्यम से याचिका दायर कर दी है. दिल्ली उच्च न्यायालय में मामले की सुनवाई 14 नवंबर 2022 को निर्धारित है. जिसमें दीपू कुमार सिन्हा और धीरज जायसवाल को इंटरवेनर मानते हुए मामले की सुनवाई होगी.
स्थानीय लोगों को कोर्ट पर भरोसा
दीपू कुमार सिन्हा और धीरज जायसवाल के द्वारा याचिका दायर करने के बाद स्थानीय कामगारों, रैयतों और बकायेदारों ने थोड़ी राहत की सांस ली है. स्थानीय लोगों को कोर्ट पर पूरा भरोसा है और उन्हें उम्मीद है कि कोर्ट में सुनवाई के बाद प्लांट से स्क्रैप उठाव का अवैध काम होगा. वहीं, मामले का केस नंबर जो दिल्ली उच्च न्यायालय में सूचीबद्ध किया गया है. वह धीरज जायसवाल और दीपू कुमार सिन्हा के मामले में क्रम से 1868662/2022 और 1868682/2022 है.
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