दुमका(DUMKA):लगभग एक साल पहले दुमका रेलवे स्टेशन परिसर में कोल डंपिंग यार्ड की शुरुवात की गई थी. स्थानीय लोग शुरू से इसका विरोध कर रहे है. जिसकी वजह विरोध प्रदूषण है. कोयला डस्ट से आसपास के लोग परेशान है. सघन अधिवास क्षेत्र से कोयला डंपिंग यार्ड को अन्यत्र स्थानांतरित करने की मांग को लेकर सिविल सोसाइटी के बैनर तले चरणबद्ध आंदोलन चलाया जा रहा है.
डंपिंग यार्ड से फैल रहे प्रदूषण से लोग परेशान
वहीं आपको बताये कि रेलवे ये मानने के लिए तैयार नहीं है, कि डंपिंग यार्ड से प्रदूषण फैल रहा है. लेकिन एनजीटी पहले ही मान चुकी है, कि प्रदूषण नियंत्रण में अनदेखी हुई है. तभी तो एनजीटी की ओर से रेलवे पर 10 करोड़ का जुर्माना लगाया गया था. अब उन रुपयों से प्रदूषण नियंत्रण की योजना बनाई गई है. इसके लिए दुमका परिसदन में अपर मुख्य सचिव, वन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग एल. खयांगते की अध्यक्षता में एनजीटी से संबंधित जॉइंट कमिटी की बैठक आयोजित की गई.
रेलवे नहीं मान रहा अपनी गलती
इस बैठक के दौरान वाटर स्प्रिंकलर से छिड़काव करने, सीसीटीवी कैमरा लगाने, डस्ट कलेक्टर लगाने, पौधरोपण करने का निर्णय लिया गया. बैठक के पूर्व जॉइंट कमिटी की ओर से कोल डंपिंग यार्ड का निरीक्षण भी किया गया. अधिकारियों की ओर से कई निर्देश भी दिए गए. बैठक में कोल डंपिंग यार्ड के खिलाफ एनजीटी में शिकायत करने वाले रविशंकर मंडल भी शरीक हुए. जबकि बैठक के बाद सिविल सोसाइटी के सदस्यों ने जॉइंट कमिटी से मिलकर ज्ञापन सौपा. लेकिन इस बैठक से ना तो शिकायतकर्ता संतुष्ट दिखे, और ना ही सिविल सोसाइटी के सदस्य. इनकी मांग है कि डंपिंग यार्ड को सघन अधिवास से दूर स्थानांतरित किया जाए. लेकिन इनकी मांग पर कोई निर्णय नहीं लिया गया.
बेलगाम दौड़ते कोयला लोड ट्रक से हो रही है दुर्घटनाएं
दुमका रेलवे स्टेशन परिसर में कोल डंपिंग यार्ड की शुरुवात होने से प्रदूषण फैल रहा है या नहीं यह तो तकनीकी जांच का विषय है. लेकिन इतना जरूर है कि इससे आसपास के लोग परेशान है. कोयला डस्ट लोगों के घरों तक पहुंच रहा है. सड़क मार्ग से कोयला लाने की वजह से दुमका - पाकुड़ मार्ग पर बेलगाम दौड़ते कोयला लोड ट्रक से आए दिन दुर्घटनाएं हो रही है. समय-समय पर विधि व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो रही है. कहीं ऐसा ना हो कि आनेवाले समय मे जन आक्रोश जन आंदोलन का रूप धारण कर ले.
रिपोर्ट-पंचम झा
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