NTPC कोल परिवहन केस, RCCF पर लगे गंभीर आरोप, रिपोर्ट दबाने का बढ़ा विवाद


रांची (RANCHI): हजारीबाग में एनटीपीसी द्वारा सड़क मार्ग से कोयला ढुलाई किए जाने को लेकर वन विभाग के अंदर अब बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. आरोप है कि फॉरेस्ट क्लियरेंस की शर्तों का उल्लंघन तो हुआ ही, साथ ही इस मामले की जांच रिपोर्ट को भी वरिष्ठ अधिकारी ने दबाकर रखा.
वन संरक्षक (CF) द्वारा बनी दो सदस्यीय जांच टीम ने अंतरिम रिपोर्ट तैयार कर दी थी. लेकिन क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक (RCCF) रवींद्रनाथ मिश्रा पर इस रिपोर्ट को रोककर रखने और गलत तरीके से कार्रवाई करने का आरोप लगाया गया है.
बताया गया कि RCCF ने कार्रवाई के नाम पर जांच समिति के दो सहायक वन संरक्षकों (ACF) से स्पष्टीकरण मांगा. उन्होंने कहा था कि यह निर्देश उन्हें “विभाग के बड़े अधिकारियों” से मिला है. लेकिन बाद में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF) के एक पत्र से साफ हो गया कि यह आपत्ति स्वयं RCCF मिश्रा की थी और किसी वरिष्ठ अधिकारी ने ऐसा निर्देश नहीं दिया था. इससे RCCF का दावा गलत साबित हुआ.
इस विवाद के उजागर होने के बाद पश्चिमी वन प्रमंडल के ACF अविनाश कुमार परमार ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर RCCF के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और उच्चस्तरीय जांच की मांग की है. इस शिकायत की प्रति राज्यपाल, भारत सरकार और मुख्य सचिव को भी भेजी गई है.
रिपोर्ट 5 महीने तक क्यों दबाई गई?
ACF परमार का कहना है कि अंतरिम रिपोर्ट पांच महीने पहले CF ममता प्रियदर्शी को सौंप दी गई थी. फिर भी न रिपोर्ट पर कार्रवाई हुई और न RCCF ने CF से देरी की वजह पूछी. उल्टे, अचानक जांच अधिकारियों से ही जवाब मांग लिया गया. इससे शक और गहरा हो गया है कि रिपोर्ट जानबूझकर रोककर रखी गई ताकि आरोपी अधिकारी को बचाया जा सके.
PCCF के पत्र से सारा सच सामने
PCCF के पत्रांक 1850 (दिनांक 2 अगस्त 2025) में साफ लिखा है कि रिपोर्ट पर आपत्ति RCCF मिश्रा ने ही जताई थी. जबकि RCCF अपने पत्र में इसे वरिष्ठ अधिकारियों का आदेश बता रहे थे. इस विरोधाभास के बाद RCCF की भूमिका पर सबसे बड़ा सवाल उठ गया है.
पूरा मामला सामने आने के बाद वन विभाग में हलचल मच गई है. आरोप है कि RCCF ने न सिर्फ रिपोर्ट दबाई, बल्कि वरिष्ठ अधिकारियों का नाम लेकर गलत दावा भी किया और जांच टीम के अधिकारियों पर दबाव बनाने की कोशिश की.
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