झारखंड के देवघर में रहे दो नौकरशाहों में छिड़ी "जंग" में सांसद निशिकांत दुबे के "कंधे" का हो रहा इस्तेमाल


धनबाद(DHANBAD): झारखण्ड के गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और आईएएस अधिकारी मंजू भयंत्री के बीच टकराव की बातें हमेशा सुनने को मिलती रहती थी. दोनों में बनती भी नहीं थी. कई मौके पर दोनों में विवाद भी हुआ. यह विवाद सुर्खियां बटोरी. अभी मंजू भयंत्री जमशेदपुर के डीसी हैं जबकि उस समय के एसपी सुभाष चंद्र जाट फिलहाल सीबीआई के एसपी है. तत्कालीन एसपी ने झारखंड के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर उस समय के देवघर के डीसी पर कई गंभीर आरोप लगाए है. सीबीआई एसपी सुभाष चंद्र जाट ने बताया है कि डीसी मंजू भयंत्री गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे को हमेशा टारगेट करते थे. उन्हे गिरफ्तार करने का जबरन दवाब बनाते थे. उन्होने पत्र में आगे लिखा है कि भयंत्री ने लोकसभा समिति के सामने निशिकांत दुबे के खिलाफ गलत शिकायत करने का भी दवाब बनाया था.
रिपोर्ट्स के मुताबिक लोकसभा समिति सांसद द्वारा मंजूनाथ भंयत्री के खिलाफ प्रिविलेज मोशन की भी जांच कर रही थी. भजंत्री ने सांसद निशिकांत दुबे की गिरफ्तारी के लिए 31 जुलाई 2023 को काफी दबाव बनाया था और उन्हें देवघर एयरपोर्ट पर गिरफ्तार करने को भी कहा था. उस वक्त सांसद एसिड पीड़ित से मिलने के लिए दुमका जा रहे थे. आगे अपने पत्र में भजंत्री के खिलाफ खुलासा करते हुए एसपी ने बताया है कि देवघर के तत्कालीन डीसी थाना प्रभारी और जांच अधिकारी से गुप्त फाइलें मंगवाते थे. वे एसपी के मना करने के बावजूद जबरन फाइल पढ़ते थे, उन्होंने सांसद दुबे का कभी भी सहयोग नहीं किया. वहीं भजंत्री ने सांसद के खिलाफ मधुपुर थाना में दर्ज एक मुकदमे में भी जबरन गिरफ्तार करने का दबाव बनाया था. साथ ही वह एसपी पर सांसद का पक्ष लेने का भी आरोप लगाते थे. इधर मंजूनाथ भयंत्री फिलहाल जमशेदपुर के डीसी है. उन्होंने कहा है कि डीसी होने के नाते उन्होंने एसपी सुभाष चंद्र जाट के बारे में अपना एप्रेजल नियमानुसार दिया था. जिसपर बिन्दुवार एसपी ने जो जबाव सार्वजनिक किया है, वह आफिसियल सेक्रेट एक्ट का उल्लंघन है.
डीसी होने के नाते मैं नियंत्री पदाधिकारी होता हूं लेकिन उन्हें बहुत सारे गंभीर और संवेदनशील मामलों की एसपी जानकारी ही नहीं देते थे. जिला पुलिस बल पर एसपी प्रभावकारी नियंत्रण रखने में विफल रहे, जिला सुरक्षा समिति द्वारा अंगरक्षक प्रदान करने के मामले में उन्हें अनदेखा किया. तथा कई अन्य संवेदनशील तथा राष्ट्र हित के मामलों में मनमाने ढंग से कार्रवाई की. डीसी होने के नाते मैंने गोपनीय एप्रेजर में अपना प्रतिवेदन दिया जिसके बाद वह भडक़े हैं और सांसद निशिकांत दुबे के कंधे पर बंदूक रखकर यह पत्र सार्वजनिक कर गोली दागने का प्रयास किया है.सांसद के नाम पर उनके खिलाफ जो भी बातें सार्वजनिक की गई है , वह मनगढंत और बनावटी है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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