धनबाद(DHANBAD): मिशन रानीगंज, द ग्रेट भारत रेस्क्यू फिल्म अक्षय कुमार को धनबाद खींच रही है. आईआईटी ,आईएसएम के छात्रों को उन्होंने भरोसा दिया है कि समय मिलते ही वह जरूर धनबाद आएंगे. धनबाद कोयलांचल तो बॉलीवुड के "चॉइस लिस्ट" में पहले से ही रहा है. लेकिन मिशन रानीगंज, द ग्रेट भारत रेस्क्यू फिल्म ने रानीगंज कोयलांचल को भी सुर्खियों में ला दिया है. यह फिल्म 6 अक्टूबर को रिलीज होने वाली है. अक्षय कुमार इसके लीड रोल में है. वह ISM के छात्र रहे(अब स्वर्गीय) जसवंत सिंह गिल का रोल कर रहे है. इसलिए उनका जुड़ाव धनबाद से बढ़ गया है. शुक्रवार की शाम 6:20 पर आईएसएम के पेनमैन हाल में ऑनलाइन वह छात्रों से रूबरू हुए. लंदन से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़कर अक्षय कुमार ने आईएसएम के छात्रों से कहा कि उन्हें जसवंत सिंह गिल की भूमिका निभाकर गर्व हो रहा है.
ISM के छात्रों से की ऑन लाइन बातचीत
मौका मिलते ही धनबाद आएंगे. फिल्म के प्रमोशन के लिए शुक्रवार को वह आईएसएम के छात्रों से ऑनलाइन बातचीत की. छात्रों से कहा कि वह बहुत ही खुशनसीब है कि की सच्ची घटना का रोल करने का मौका मिला है. एक इंसान जिसने अपनी जान की परवाह किए बिना 65 कोयला श्रमिकों की जान बचाई हो, यही जानकर उन्होंने फिल्म में काम करने के लिए यस कहा. अक्षय कुमार ने छात्रों को भरोसा दिया कि मौका मिलते ही वह जरूर धनबाद आएंगे. जसवंत सिंह गिल इंडियन स्कूल ऑफ माइंस के 1965 बैच के छात्र थे. उन्ही पर आधारित" मिशन रानीगंज " फिल्म बनी है. इस फिल्म में अक्षय कुमार जसवंत सिंह गिल के रोल में है. और एक काबिल इंजीनियर की भूमिका में दिखेंगे. कोयला उद्योग की दुश्वारियों पर बनी फिल्म का नाम "मिशन रानीगंज दी ग्रेट इंडियन रेस्क्यू" था , लेकिन अब इसका नाम "मिशन रानीगंज दी ग्रेट भारत रेस्क्यू" हो गया है. इसके पोस्टर भी जारी हो गए है. यह फिल्म कोयला खदान के भीतर फंसे मजदूरों को कैसे देसी तकनीक से बाहर निकाला गया, उस पर आधारित है.
ECL रानीगंज की महावीर कोलियरी में फंस गए थे मजदूर
वह साल था 1989 का. 65 से अधिक कोयला मजदूर ECL रानीगंज की महावीर कोलियरी में फंस गए थे .उसके बाद तो कोयला उद्योग में तहलका मच गया था. रेस्क्यू ऑपरेशन में परेशानियों के बावजूद यह दुनिया का एक बहुत बड़ा सफल ऑपरेशन माना जाता है. इस ऑपरेशन के मुखिया थे आईएसएम के 1965 बैच के अभियंता जसवंत सिंह गिल. रानीगंज की महावीर कोलियरी में जब 65 मजदूर फंस गए थे और कोई तकनीक नहीं काम आ रहा था, विदेश से भी सहायता ली गई थी, लेकिन मजदूर निकाले नहीं जा सक रहे थे. तब जसवंत सिंह गिल ने अपनी देसी तकनीक अपनाई और उन्होंने आदमी की लंबाई का एक कैप्सूल बनाया. कैप्सूल की बनावट ऐसी थी कि उसमें आदमी प्रवेश कर सकता था और सुरक्षित बाहर भी निकल सकता था. उस कैप्सूल के सहारे एक-एक कर महावीर कोलियरी से फंसे 65 मजदूरों को बाहर निकाला गया था.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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