धनबाद(DHANBAD): देसी तकनीक का तहलका. जहां से बचाव के सभी तकनीक फेल कर जाते है , वहीं से शुरू होती है देसी तकनीक. किसी को क्या मालूम था कि साधारण लोहार के हथौड़े से बननेवाली यह तकनीक देश में इतिहास बन जाएगी. तकनीक की अगुवाई करने वाले जसवंत सिंह गिल तो उसके बाद कैप्सूल गिल के नाम से प्रसिद्ध हो गए. 16 नवंबर 1989 का वह दिन. इस दिन को जिसने भी देखा, वह आज भी सिहर उठता होगा. एक तरफ बचाव के सारे उपाय धराशाई हो रहे थे तो दूसरी तरफ जसवंत सिंह गिल का दिमाग कंप्यूटर से भी तेज चल रहा था. उनके अंदर छुपी प्रतिभा उन्हें ललकार रही थी. कह रही थी कि यही वक्त है कि कुछ स्पेशल कर मजदूरों को बचाया जा सके और हुआ भी ऐसा ही.ECL की महावीर कोलियरी में फंसे मजदूरों के स्थान का सही आकलन कर समानांतर सुरंग बनाकर यशवंत सिंह गिल ने 65 लोगों की जान बचा दी थी.
अब तो फिल्म भी बन गई है
अब तो इस पर मिशन रानीगंज फिल्म भी बन गई है. अक्षय कुमार इसके लीड रोल में है. बात यहीं खत्म नहीं होती है, यह तकनीक युवा पीढ़ी के लिए भी कुछ करने की सिख देती है. देसी जुगाड़ के इनोवेशन का यह एक बहुत बड़ा उदाहरण है. बहुत सारी कंपनियां इस हादसे पर बनी फिल्म का स्पेशल शो करा रही है. यह फिल्म लोगों को कुछ नया करने के लिए प्रेरित करेगी. कोल इंडिया की कई अनुषंगी कंपनियां इस फिल्म का स्पेशल शो करा रही है. कोयलाकर्मी सिर्फ अपना पहचान पत्र दिखाकर यह फिल्म देख सकते है. यह तो कहा ही जा सकता है कि जसवंत सिंह गिल का रेस्क्यू ऑपरेशन इतिहास बन गया है. कैसे देसी लोहार एवं कंपनी के वर्कशॉप में गिल ने कैप्सूल बनवाया. इसी कैप्सूल में बैठकर फंसे कोयलाकर्मियों को समानांतर की सुरंग से एक-एक कर बाहर निकाला गया था. यह रेस्क्यू ऑपरेशन इसलिए भी इतिहास बन गया कि घटनास्थल पर उपलब्ध संसाधन से ही रेस्क्यू की तैयारी की गई और योजना 100 फीसदी सही साबित हुई. महावीर कोलियरी की दुर्घटना के बाद से ही गिल की चर्चा होती रही.
निधन के पहले स्कूली बच्चों को बताई थी अपनी मनोदशा
लोग बताते हैं कि अपने निधन के कुछ साल पहले उन्होंने बंगाल के एक स्कूल में बच्चों को इसके संबंध में जानकारी दी थी. बताया था कि उस समय उनकी क्या मनोदशा थी और कैसे जब सारे संसाधन फेल हो गए. तो उनको ईश्वरीय ताकत मिली और उसे ताकत के भरोसे उन्होंने 65 लोगों की जान बचाई. जसवंत सिंह गिल तो अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन उनके इस ऑपरेशन ने उनको अमर कर दिया है. जसवंत सिंह गिल भारतीय खनि विद्यापीठ के पूर्ववर्ती छात्र थे. वैसे भारतीय खनि विद्यापीठ की ख्याति देश-विदेश में पहले से ही थी लेकिन मिशन रानीगंज फिल्म बन जाने के बाद एक बार ख्याति में बढ़ोतरी हो गई है. अब तो आईआईटी का टैग भी मिल गया है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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