नवरात्र के नौ दिन धनबाद में उतरता है मिनी गुजरात, रास गरबा की रहती है धूम


धनबाद(DHANBAD): नवरात्र शुरू होते ही रास गरवा की धूम मचनी शुरू हो जाती है. कोयलांचल की बात करें तो कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के पूर्व धनबाद के कोलियरी मालिक अधिसंख्य गुजराती थे. कोयलांचल में उन्होंने एक मिनी गुजरात बसा लिया था. यही वजह है कि कोयलांचल में आज भी गुजरातियों की परंपरा का निर्वहन होता है. यहां गुजराती व्यंजन आज भी बड़े चाव से लोग स्वीकार करते हैं. नवरात्र शुरू हो गया है ,ऐसे में रास गरबा की धूम पूरे देश में मची हुई है. जैसे-जैसे नवरात्र की तिथियां बढ़ेंगी , यह धूम और भी जोर पकड़ेगा ,कोयलांचल में रास गरबा की शुरुआत का इतिहास देश के स्वतंत्र होने के पहले का है. कोयलांचल में 1946 के पहले से रास गरबा खेला जा रहा है.
पहले तो केवल गुजरती ही रूचि रखते थे लेकिन अब वैसी बात नहीं
उस समय केवल गुजराती समाज के लोग इसमें रूचि रखते थे लेकिन धीरे-धीरे यह फैलता गया. आज भी धनबाद गुजराती स्कूल के परिसर में पूरे नवरात्र रास गरबा होता है. ऐसा लगता है मानो 9 दिन तक मिनी गुजरात गुजराती स्कूल में उतर आया है. दूर-दूर से लोग इसमें शामिल होने के लिए पहुंचते हैं ,क्या बच्चे, क्या महिलाएं ,क्या बुजुर्ग, सभी रास गरबा में उत्साहित होकर हिस्सा लेते हैं. जानकारी के अनुसार 1946 में गुजराती समाज के चंद्रकांत जानी ,जसवंत भाई वोहरा, रामजी भाई पाठक, हरसुख बोहरा ने कोयलांचल में गुजराती समाज को एकजुट करने के लिए रास गरबा की शुरुआत की थी. आज तो इसका स्वरूप बड़े आकार का हो गया है. हजारों भक्त रास गरबा खेलते हैं और मां की आराधना करते हैं.
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