देवघर (DEOGHAR): स्थित पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंग के जलाभिषेक की अति प्राचीन परंपरा श्रावण मास में रही है. लेकिन यहां एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ होने के कारण नवरात्र के अवसर पर भी लाखों की संख्या में लोग यहां बाबा का जलाभिषेक करने आते है. उनकी मान्यता है कि नवरात्र के अवसर पर उन्हें शिव और शक्ति दोनों का विशेष वरदान प्राप्त होता है. आदि शक्ति माता सती का हृदय यहां गिरने से देश के 52 शक्तिपीठों में एक शक्तिपीठ के रुप में भी इस पवित्र स्थल की मान्यता है.
यहीं गिरा था माता सती का हृदय
जानकारों के अनुसार जिस जगह पर माता सती का हृदय गिरा था, उसी जगह पर पवित्र ज्योतिर्लिंग भी स्थापित है. इसी वजह से यह मान्यता है कि नवरात्र के अवसर पर बाबा के जलाभिषेक से शिव और शक्ति दोनों की एक साथ पूजा-अर्चना का फल प्राप्त होता है. सीता माता की धरती मिथिलांचल होने के कारण इस अवसर पर खास कर मिथिलांचल से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंग का जलाभिषेक करने बाबा धाम पहुंचते हैं. देश के सभी पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंगों में सिर्फ देवघर ही ऐसा तीर्थस्थल है, जहां शिव और शक्ति एक साथ विराजमान हैं.
बाबा मंदिर में की गई कलश स्थापना
आज कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि की शुरुआत हो गयी है. बाबा मंदिर परिसर में भी कलश स्थापना की गई है. तीर्थ पुरोहितों ने ऑनलाइन पूजा पाठ भी कराया. पुरोहितों की ओर से यहां विधि विधान से नवरात्रि का पाठ किया जा रहा है. जानकर के अनुसार इस वर्ष हाथी पर बैठ कर माँ दुर्गा का आगमन हुआ है. जो सुख समृद्धि और खुशहाली लाने वाली होती है. खासकर मिथिला वासी विशेष कांवर लेकर बाबा का जलाभिषेक करने आते हैं. पूरा मन्दिर परिसर मिथला वासियों से पटा दिखाई दे रहा है. श्रद्धालु यहां पूजा अर्चना कर भोलेनाथ के साथ साथ मां शक्ति का भी आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं.
रिपोर्ट: रितुराज सिन्हा, देवघर
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