बोकारो(BOKARO): मजदूरों की मौत का सिलसिला थमता नजर नहीं आ रहा है. हर दिन राज्य के कोई न कोई जगहों के प्रवासी मजदूर की मौत की खबरें दूसरे शहरों और देशों से आती है. पलायन कर रहे मजदूर बाहर जाकर काम करना ज्यादा बेहतर मानते हैं. क्योंकि अगर वो अपने राज्य में रहकर कार्य कर रहे होते तो उन्हे समय पर पैसे नहीं मिल पाता, या तो उन्हे उतना भी मजदूरी नहीं मिलता, जिससे वो अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें.
मौत की सूचना मिलते ही परिजन सकते में
इसी दौरान ताजा मामला बोकारो जिले के गोमिया प्रखंड के चतरोचट्टी थाना क्षेत्र से आई, जहां करी खुर्द के मजदूर की मुम्बई में शनिवार शाम को मुम्बई में मौत हो गयी. जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि चतरोचट्टी थाना क्षेत्र अंतर्गत करी निवासी सोमर महतो के 45 वर्षीय पुत्र जगरनाथ महतो की मौत हो गयी. मौत की सूचना मिलते ही परिजन सकते में हैं तो वहीं पुरा गांव भी शोक में हैं. घटना के कारणों के बारे में अभी तक कोई पूरी जानकारी नहीं मिल सकी है.
ट्रांसमिशन कम्पनी में जगरनाथ थे कार्यरत
मृतक अपने पीछे पत्नी, दो पुत्र और दो पुत्री को मुस्कान कुमारी(22),भुनेश्वर कुमार(20),आरती कुमारी(17) व सुमन कुमार(15) को छोड़ गया. इस घटना को लेकर प्रवासी मजदूरों के हित में कार्य करने वाले समाजसेवी सिकन्दर अली ने संवेदना प्रकट करते हुए करते हुए कहा कि झारखंड के नौजवानों की मौत के मुंह में समा जाने की यह पहली घटना नहीं है. इससे पहले भी कई लोगों की मौत हो चुकी है.रोजी-रोटी की तलाश में परदेस गये प्रवासी झारखंडी मजदूरों की मौत का सिलसिला जारी है. हर रोज झारखंड के किसी न किसी इलाके से प्रवासी मजदूर की दूसरे राज्यों या विदेश में मौत की खबरें आ रही है.
मौत के बाद रूह को चैन नसीब नहीं
प्रवासी मजदूरों की सबसे ज्यादा तादाद गिरिडीह, हजारीबाग और बोकारो जिले से रोजी कमाने गये लोगों की है. अपना घर छोड़कर परदेस गये इन मजदूरों की जिंदगी तो कष्ट में बीतती ही है, मौत के बाद भी उनकी रूह को चैन नसीब नहीं होता है. किसी की लाश को एक सप्ताह का समय लग जाता है, किसी-किसी मृतक की बॉडी को आने में 3 महीने भी लग जाते हैं. ऐसे में सरकार को रोज़गार की ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए,ताकि मजदूरो का पलायन रोका जा सके.
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