धनबाद(DHANBAD): 21 अप्रैल को रांची में रैली के दौरान हुई मारपीट की घटना गंभीर होती दिख रही है. इस घटना का सीधा असर अगर चतरा से कांग्रेस के उम्मीदवार की सेहत पर पड़ जाए तो कोई आश्चर्य नहीं. सूत्र बताते हैं कि चतरा में कांग्रेस उम्मीदवार की घोषणा के बाद से ही विवाद उठ खड़ा हुआ था. यह विवाद चतरा से चलकर रांची की रैली तक पहुंच गया. मारपीट हुई, खून बहा, मुकदमा हुआ. जो भी हो चतरा सीट हॉट केक बनी हुई है. पहले भी थी ,क्योंकि इस सीट पर लालू प्रसाद का हस्तक्षेप था. गोड्डा सीट पर उम्मीदवार बदलने के बाद चतरा सीट पर भी कैंडिडेट परिवर्तन की चर्चा तेज हो चली है. चतरा के हर मिनट, सेकंड की रिपोर्ट ली जा रही है. सूत्र बताते हैं कि 48 से 72 घंटे के बीच कोई निर्णय हो सकता है. चतरा से कांग्रेस ने केएन त्रिपाठी को उम्मीदवार बनाया है, जबकि भाजपा से यहां के स्थानीय कालीचरण सिंह प्रत्याशी बने है.
कांग्रेस के कई लोग थे लाइन में
कांग्रेस का टिकट पाने के लिए चतरा से कई लोग लाइन में थे. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद का भी हस्तक्षेप था, लेकिन सारे गुणा -भाग को दरकिनार करते हुए केएन त्रिपाठी ने चतरा से टिकट ले लिया. 2019 में चतरा से भाजपा उम्मीदवार सुनील सिंह चुनाव जीते थे. लेकिन इस बार पार्टी आलाकमान ने सुनील सिंह का टिकट काटकर कालीचरण सिंह को टिकट दिया है. चतरा सीट के लिए ही गिरिनाथ सिंह भाजपा छोड़कर राजद में शामिल हुए थे. उन्हें भरोसा था कि चतरा सीट उन्हें मिल जाएगी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं, चतरा सीट के पर कांग्रेस की टिकट के लिए दो लोग जोर लगाए हुए है. एक तो भाजपा छोड़कर राजद में आये है तो दूसरे कांग्रेस में रहते हुए लालू प्रसाद के चाहते है. कांग्रेस ने गोड्डा सीट से भी दीपिका सिंह पांडे को बदलकर विधायक प्रदीप यादव को उम्मीदवार बना दिया है. तो क्या चतरा में भी कुछ ऐसा ही होने जा रहा है. या केएन त्रिपाठी ही कांग्रेस के उम्मीदवार रहेंगे.
चतरा में कुछ हुआ तो असर अन्य जगहों पर भी
वैसे सूत्र बताते हैं कि चतरा में अगर कांग्रेस ने उम्मीदवार बदला तो इसका असर अन्य लोकसभा क्षेत्र पर भी पड़ सकता है. क्योंकि फिर सामाजिक समीकरण को साधने की बात सामने आएगी. वैसे कांग्रेस झारखंड में कुल 7 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. सातों सीट पर उम्मीदवारों की घोषणा हो गई है. रांची से सुबोध कांत सहाय की बेटी को कांग्रेस ने टिकट दिया है. उनका सामना 2019 में चुनाव जीते संजय सेठ से होगा. यह बात जरूर है कि कांग्रेस ने टिकट बांटने में विलंब किया. कहा जा रहा था कि सारे समीकरणों को साधने के बाद ही उम्मीदवारों की घोषणा होगी. लेकिन उम्मीदवारी होने के बाद भी अब कई तरह के पेंच फंस रहे है. कई संसदीय क्षेत्र के कील कांटे अब कांग्रेस आला कमान के गले की हड्डी बनती दिख रही है. देखना है की आगे आगे होता है क्या. 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए झारखंड में कुल 12 सीटों पर जीत दर्ज की थी. एक सीट कांग्रेस को मिली थी और एक ही सीट झारखंड मुक्ति मोर्चा के खाते में आई थी. इस बार एनडीए सीट बढ़ाने की कोशिश में जी जान से जुटा हुआ है तो इंडिया ब्लॉक भी चाहता है कि वह सीटों की संख्या बढ़ाये.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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