टीएनपी डेस्क(Tnp Desk):- राज्य के चर्चीत जमीन घोटाले में बंद रांची के पूर्व उपायुक्त छविरंजन और कारोबारी अमित अग्रवाल जेल में बंद हैं. इन दोनों की अलग-अलग जमानत याचिका पर हाईकोर्ट में 19 जनवरी को सुनवई होगी. इसे लेकर चर्चा ये तेज है कि क्या करीब आठ महीनों से जेल में बंद छविरंजन को जमानत मिलेगी. यह मामला न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की कोर्ट में सूचिबद्ध है. मामले में ईडी की तरफ से दोनों के खिलाफ ईसीआईआर 1/2023 दर्ज है. इसमे छविरंजन, अमित कुमार अग्रवाल सहित 10 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है. हाईकोर्ट में छविरंजन की जमानत अर्जी पर ईडी के जवाब का उनकी ओर से प्रतिउत्तर दिया गया है.
छविरंजन पर जमीन घोटाले का आरोप
मालूम हो कि जमीन घोटाले में रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन और बड़गाई के राजस्व कर्मचारी सहित 18 लोगों के 22 ठिकानों पर 13 अप्रैल 2023 को ईडी ने छापेमारी की थी. जिसमें जमीन की फर्जी डीड, मुहर और अन्य कागजात ईडी ने बरामद किया था. इसके बाद अगले ही दिन 14 अप्रेल को ईडी ने सात आरोपियों को जमीन के दस्तावेजों में छेड़छाड़ के आरोप में गिरफ्तार किया था. बाद में रांची के पूर्व डीसी छविरंजन की मिलिभगत के आधार पर 4 मई को गिरफ्तार किया गया था. जमीन खरीद बिक्री मामले को लेकर बरियातू थाने में छविरंजन के खिलाफ कांड संख्या 141/2022 दर्ज हैं.
क्या है पूरा मामला
छवि रंजन 15 जुलाई 2020 से 10 जुलाई 2022 तक रांची के डीसी थे. उन पर आरोप है कि इस दौरान ही अपने पद पर रहते हुए उन्होने साजिश रचकर सेना के कब्जे वाली जमीन फर्जीवाड़ा कर बिकवा दी . यह जमीन स्वर्गीय बीएम लक्ष्मण राव की है, जो 417 रुपए के मासिक किराए पर सेना को दी गई थी. लेकिन, प्रदीप बागची को फर्जी मालिक बनाकर बिकवा दी. बताया गया कि इस घोटाले के मास्टरमाइंड छवि रंजन ही थे. इस दौरान ईडी ने छविरंजन को रिमांड में लेने के लिए कोर्ट में जो दस्तावेज सौंपा . इशके मुताबिक ये खुलासा हुआ कि रांची जिले के सभी 22 अंचल कार्यालयों से छवि रंजन की कमीशन तय थी. उन्हें हर अंचल कार्यालय से प्रति माह दो से ढाई लाख रुपए मिलते थे. ये पैसे उनके एक काफी करीबी व्यक्ति के जरिए पहुंचाए जाते थे.
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