जानिए कौन थी सरस्वती देवी जिन्होंने 15 साल की उम्र में अंग्रेजों के कर दिए थे दांत खट्टे, आज मनाई जा रही 125वीं जयंती

टीएनपी डेस्क: झारखंड-बिहार की पहली महिला स्वतंत्रता सेनानी सरस्वती देवी की 125वीं जयंती हर साल 5 फरवरी को मनाई जाती है. इसी क्रम में हजारीबाग जिले के दारू प्रखंड में स्वतंत्रता सेनानी सरस्वती देवी के नाम से स्थापित उच्च विद्यालय परिसर में आज के दिन 5 फरवरी को उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर जयंती मनाई जाएगी. यह कार्यक्रम आज शाम तीन बजे आयोजित है.
हजारीबाग में 5 फरवरी 1901 को जन्मी सरस्वती देवी ने महज 15 वर्ष की आयु में अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे. इनको एकीकृत बिहार-झारखंड की पहली महिला स्वतंत्रता सेनानी बनने का गौरव प्राप्त है. सिर्फ 15 साल की उम्र में वे जेल गई थी. 15 साल की उम्र में ही वे पहली बार गांधीजी के सत्याग्रह आंदोलन में भी शामिल हुई. गांधीजी ने इनके सत्याग्रह आंदोलन से प्रभावित होकर उन्हें असहयोग आंदोलन में हजारीबाग का नेतृत्वकर्ता घोषित कर दिया. जिसके बाद सरस्वती देवी ने हजारीबाग से पूरे देश के लिए सती प्रथा, पर्दा प्रथा और जाति का विरोध किया था. इसके अलावा हरिजन उत्थान के लिए पूरे एकीकृत बिहार-झारखंड में भी कार्य किया था.
बता दें कि, सरस्वती देवी ने हजारीबाग के बख्शीडीह निवासी केदारनाथ सहाय के साथ शादी की थी. फिलहाल इनके वंशज हजारीबाग जिले के सदर प्रखंड स्थित कांगे्रस ऑफिस रोड में रहते हैं. सरकार की ओर से परिवार पर ध्यान नहीं दिए जाने के कारण परिवार की माली हालत आज काफी खराब है. स्वतंत्रता सेनानी सरस्वती देवी के वंशज डॉ. भैया अनुपम कुमार कहते हैं कि पूरे परिवार ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में अपना जीवन त्याग दिया, लेकिन आज कोई देखने वाला भी नहीं है.
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