रांची- वैसे तो यह साल के पहले दिन ही स्पष्ट हो गया था कि सत्ता पक्ष के सभी विधायकों को रांची आना है.झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक तो पहले से ही समझ गए थे कि उन्हें रांची बुलाया जाएगा लेकिन विधिवत रूप से उन्हें बुला लिया गया है.मसाला स्पष्ट है विधायक दल की बैठक में बड़ा निर्णय होने जा रहा है.
सभी मंत्री और विधायक राजधानी में उपस्थित हों - JMM
गांडेय विधानसभा क्षेत्र से झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक सरफराज अहमद का इस्तीफा से ही स्पष्ट हो गया था कि नए साल में नया कुछ होने जा रहा है और जो होगा वह बड़ा होगा.राज्य के भविष्य से जुड़ा होगा.जाहिर सी बात है सीट खाली करने का मतलब ही है कि किसी को उस सीट से चुनाव में खड़ा करना है.मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की परेशानी बढ़ी हुई है.प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने उन्हें सात बार समन भेजा लेकिन वे नहीं कुछ कर रहे हैं.प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों के समक्ष उपस्थित नहीं हो रहे हैं.इसलिए उन्हें अंदेशा है कि उन्हें कथित रूप से फंसाया जा सकता है.पर यह कोई मजबूत आधार पर नहीं कहा जा सकता है.लेकिन कुछ बात ऐसी जरूर है जिससे यह प्रतीत होता है कि उनकी कुर्सी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.इसलिए उन्होंने एक बिहारी मॉडल अपनाने का मन बनाया है.बिहार मॉडल का मतलब जिस प्रकार से चारा घोटाला मामले में आरोपी बनने के बाद लालू यादव ने अपनी धर्मपत्नी राबड़ी देवी को बिहार की सरकार की कमान सौंप दी.इसी प्रकार से झारखंड में भी हो रहा है.मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी कुर्सी अपनी धर्मपत्नी कल्पना सोरेन को देने जा रहे हैं.
विधायक दल की बैठक में क्या होना है
झारखंड में हेमंत सरकार का नेतृत्व करने वाले दल झारखंड मुक्ति मोर्चा के सभी विधायकों को तीन जनवरी को मुख्यमंत्री आवास बुलाया गया है.मंत्री हो या फिर विधायक सभी लोगों को रांची के कांके रोड स्थित आवास में आना है.अपराह्न 4:30 बजे से बैठक बुलाई गई है. सत्तारूढ़ दल के अन्य घटक दलों के विधायकों की भी बैठक होगी. स्पष्ट है विधायक दल की बैठक में कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाए जाने का प्रस्ताव हेमंत सोरेन रखेंगे और एक समर्थन पत्र तैयार कर राज भवन जाया जाएगा.वहां पर एक हाथ से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपना इस्तीफा सौंपेंगे और लगे हाथ कल्पना सोरेन बहुमत के साथ सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे.सब कुछ राज्यपाल पर निर्भर करता है.राजभवन क्या निर्णय लेता है यह देखना होगा.
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