धनबाद(DHANBAD): धनबाद विधानसभा सीट भाजपा के लिए भी "हॉट केक" बना हुआ है, तो कांग्रेस के लिए भी यह महत्वपूर्ण सीट हो गई है. भाजपा की ओर से भी सबसे अधिक दावेदारी धनबाद सीट से की गई है, तो कांग्रेस में भी धनबाद सीट से ही सबसे अधिक दावेदार है. धनबाद सीट को भाजपा के उम्मीदवार भी सेफ सीट मान रहे हैं, तो कांग्रेस वाले भी इस सीट पर जीत पक्की मानकर चल रहे है. शुक्रवार को स्क्रीनिंग कमेटी धनबाद पहुंची, उम्मीदवारों से बातचीत की. लेकिन बातचीत के तरीके को लेकर कांग्रेसी ही सवाल उठा रहे है. कह रहे हैं कि हर दावेदारों के साथ उनके समर्थक मौजूद थे और समर्थकों के बीच दावेदार अपनी उम्मीदवारी के पक्ष में दलीलें रख रहे थे. इससे यह बात तो स्पष्ट हो ही गई कि कौन किसके पक्ष में काम कर रहा है. जो भी हो, लेकिन शुक्रवार को धनबाद के सर्किट हाउस में धनबाद की कांग्रेस गुटों में बंटी दिखाई दी. अलग-अलग चौपाल में बंटे कांग्रेसी अलग-अलग दिख रहे थे. टिकट के दावेदारों ने एक तरह से अपनी ताकत दिखाने के लिए फौज खड़ी कर रखी थी.
गुटों में बंटी दिखी धनबाद जिला कांग्रेस
यह अलग बात है कि इसका असर स्क्रीनिंग कमेटी पर क्या होगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा. प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि सभी प्रमुख दावेदार अपने समर्थकों के साथ पहुंचे थे. यह अलग बात है कि धनबाद के बाद बाघमारा विधानसभा सबसे महत्वपूर्ण दिखा. जलेश्वर महतो औरअभी हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए रोहित यादव का दल भी पहुंचा था. उनके साथ समर्थकों का हुजूम भी था. उन लोगों ने भी दावेदारी की, कुछ ऐसे दावेदार भी दिखे, जो पहले कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता तक से इस्तीफा दे दिए थे. मयूर शेखर झा का नाम कार्यकर्ता गिना रहे थे. लेकिन वह भी दावेदारी को पहुंचे थे. यह अलग बात है कि लोकसभा चुनाव में पार्टी ने दावेदारों के उम्र को भी सामने रखकर निर्णय लिया था. ऐसे में ददई दुबे, सुबोध कांत सहाय, फुरकान अंसारी के नाम गिनाये जाते है. कहा तो यह भी जाता है कि उम्र की वजह से ही रांची लोकसभा सीट से सुबोधकांत सहाय को कांग्रेस पार्टी ने टिकट नहीं दिया और उनकी बेटी को वहां से चुनाव लड़ाया गया. यह अलग बात है कि झारखंड का चुनाव इस बार सभी दलों के लिए महत्वपूर्ण हो गया है.
झरिया से विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने की दावेदारी
झरिया से कांग्रेस विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह भी झरिया से अपनी दावेदारी की. लेकिन वह समर्थकों के साथ नहीं पहुंची थी. स्क्रीनिंग कमेटी के सामने अपनी बात रखी और चली गई. लेकिन गुटों में बंटे नेता अपनी ताकत दिखाने में कोई परहेज नहीं किया. कांग्रेस की अनुषंगी संगठनों के नेता भी समर्थकों के साथ ताकत दिखाने में पीछे नहीं रहे. यह अलग बात है कि भाजपा की रायशुमारी में हो हल्ला और हंगामा हो गया था. लेकिन कांग्रेस की रायशुमारी में हंगामा तो नहीं हुआ, लेकिन यह बात साफ दिखाई दी कि धनबाद जिला कांग्रेस अभी भी गुटों में बटी हुई है. वैसे, गुरुवार को नव नियुक्त प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने धनबाद आकर कांग्रेसियों को एक बड़ी सीख दी थी. लेकिन शुक्रवार को स्क्रीनिंग कमेटी के सामने और बाहर में जो दृश्य दिखे, उससे यह पूरी तरह से स्पष्ट हो गया कि प्रदेश अध्यक्ष की सीख का धनबाद के कांग्रेसियों पर कोई असर हुआ नहीं है. धनबाद के 6 विधानसभा क्षेत्र में सिर्फ झरिया सीट पर ही फिलहाल कांग्रेस की विधायक है. चार पर भाजपा का कब्जा है तो एक पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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