धनबाद(DHANBAD): सवाल बड़ा है और हर पार्टियों को "कसौटी" पर कसने वाला भी है. लोकसभा चुनाव के बाद अब झारखंड में विधानसभा चुनाव होने को है. ऐसे में हर पार्टी के नेताओं में टिकट पाने की होड़ मची हुई है. रांची से लेकर दिल्ली तक की दूरी ऐसे नेताओं के लिए कम हो गई है. अभी जो संकेत मिल रहे हैं, उसके अनुसार कहा जा सकता है कि झारखंड के चुनाव में परिवारवाद की डोर कमजोर होने के बजाय और मजबूत होगी. दल -बदल का सिलसिला भी शुरू हो गया है. शायद ही कोई ऐसा नेता है, जो किसी भी दल से जुड़ा हो, लेकिन वह अपने परिवार को राजनीति में प्रवेश करने के लिए बेचैन नहीं हो. जानकारी के अनुसार कोल्हान टाइगर चंपाई सोरेन तो भले ही झारखंड मुक्ति मोर्चा से नाराज थे, लेकिन असली वजह अपने पुत्र बाबूलाल सोरेन को स्थापित करने के लिए भाजपा ज्वाइन की है. इसकी चर्चा खूब हो रही है.
बेटे या बेटी के लिए दिल्ली दौड़ लगा रहे नेता
इस बीच अभी जानकारी निकल कर आ रही है कि कांग्रेस के मंत्री रामेश्वर उरांव अपने पुत्र रोहित उरांव, सांसद सुखदेव भगत अपने पुत्र अभिनव भगत, सीता सोरेन अपनी पुत्री जयश्री सोरेन, सांसद ढुल्लू महतो अपनी पत्नी सावित्री देवी या भाई, बीमार विधायक इंद्रजीत महतो अपनी पत्नी तारा देवी, मंत्री जोबा मांझी अपने पुत्र उदय मांझी ,स्टीफन मरांडी अपनी पुत्री उपासना मरांडी, उमाकांत अकेला अपने पुत्र रवि शंकर अकेला, राज्यसभा सांसद खीरू महतो अपने बेटे दुष्यंत पटेल के लिए लॉबिंग करते सुने जा रहे है. परिवारवाद को लेकर मुखर भाजपा भी अब इस पर लचीला रुख अख्तियार किए हुए है. जानकार बताते हैं कि बुजुर्ग हो चले नेता राजनीति में अपने परिवार को जमाने के लिए यह सब कर रहे है. झारखंड विधानसभा चुनाव में इसके उदाहरण भी सामने आएंगे, इसमें कोई संदेह नहीं है. यह अलग बात है कि परिवारवाद के लिए कांग्रेस को ही निशाने पर लिया जाता रहा है, लेकिन कोई भी दल इससे अछूता नहीं है.
भाजपा भी परिवार वाद पर नरम पड़ती दिख रही है
भाजपा परिवारवाद पर हमला कर सत्ता में आई लेकिन अब वह भी नरम पड़ती दिख रही है. झारखंड में विधानसभा चुनाव की अभी तो केवल "डुगडुगी" बजी है, लेकिन बात "चील- कौवे और गिद्ध " तक पहुंच गई है. मतलब साफ है कि चुनाव आते-आते जुबानी जंग और तेज होगी. "बिलो बेल्ट" भी बातें कहीं जा सकती है. इस बार झारखंड विधानसभा में चुनावी लड़ाई दिलचस्प होगी, क्योंकि सत्ता पर काबिज होने के लिए भाजपा बेचैन है, तो सत्ता को बचाने के लिए गठबंधन भी सजग और सक्रिय है. यह अलग बात है कि झारखंड में इस बार भाजपा नए ढंग से चुनावी राजनीति कर रही है. कोल्हान के टाइगर कहे जाने वाले चंपाई सोरेन को भाजपा में शामिल कर लिया गया है. कोल्हान में कुल 14 सीटें है. 2019 में भाजपा को कोल्हान से एक भी सीट नहीं मिली थी. झारखंड मुक्ति मोर्चा काफी आगे रहा था. जमशेदपुर पूर्वी सीट से सरयू राय ने पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को परास्त कर दिया था और यह बड़ा चौंकानेवाले वाला रिजल्ट था. इस बार भाजपा नए ढंग से काम कर रही है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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