रांची (RANCHI) : झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा की अप्रत्याशित हार से आलाकमान काफी चिंता में है. झारखंड विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल करने के लिए पूरी ताकत लगाई गई थी. बड़े-बड़े नेताओं के चुनाव प्रचार हुए. काफी संसाधन खर्च किए गए. केंद्र ने प्रभारी और सह प्रभारी बनाकर महीनों मेहनत करवाया लेकिन सभी पर पानी फिर गया है. अब जब परिणाम आया तो जवाबदेही तय करने पर चर्चा हो रही है. एक दूसरे पर दबी जुबान से आरोप लगाया जा रहा है. हार का ठीकरा किस पर फूटता है, इंतजार किया जा रहा है.
बाबूलाल मरांडी ने हार की जिम्मेवारी ली
झारखंड में भारतीय जनता पार्टी पिछले 2 साल से विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही थी. लोकसभा चुनाव भी इसी साल हुआ प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं तो खराब भी नहीं हुआ. एनडीए ने 9 सीटों पर जीत हासिल की. विधानसभा चुनाव में यह उम्मीद की जा रही थी कि भाजपा अपने दम पर बहुमत लेगी लेकिन हवा का रुख समझने में पार्टी के बड़े नेता असफल रह गए. सत्तारूढ़ गठबंधन भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व वाले एनडीए को जबरदस्त तरीके से झटक दे दिया. भाजपा का निराशाजनक प्रदर्शन हुआ. 68 सीट पर चुनाव लड़ने वाली भाजपा को 21 सीट हासिल हुई. हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन की की टीम ने सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा नेतृत्व वाले गठबंधन को प्रचंड बहुमत दिलाया.
झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी हेमंत सरकार पर लगातार निशाना साधते रहे. ठीक-ठाक निशाना साधने का प्रयास किया लेकिन अंतिम कुछ समय में बड़े नेताओं ने गलत रणनीति अपनाकर भाजपा की नैया को डुबो दिया. पार्टी के विश्वासनीय सूत्रों के अनुसार हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए बाबूलाल मरांडी ने केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष इस्तीफा की पेशकश की है. 23 नवंबर को मतगणना की शाम में ही इस्तीफा देने की पेशकश की है. बताया जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व में ऐसा करने से उन्हें मना किया है. केंद्रीय नेतृत्व ने कहा है कि यह विधानसभा चुनाव सामूहिक नेतृत्व में लड़ा गया. इसलिए इस हार के लिए कोई एक व्यक्ति जिम्मेवार नहीं है.
4+