धनबाद(DHANBAD) | यह शिक्षा का मंदिर है अथवा सांप- बिच्छुओं का बसेरा. या गाय- भैंस का तबेला. छात्र यहां पढ़ाई करने आते हैं लेकिन उन्हें मूलभूत सुविधाओं के लिए करना पड़ता है आंदोलन. यह हाल है धनबाद के राजकीय पॉलिटेक्निक का. 80 एकड़ में फैले इसके परिसर को कभी धरोहर के रूप में गिना जाता था. लेकिन अब यह सब इतिहास की बाते हो गई है. धनबाद राजकीय पॉलिटेक्निक के छात्र गुरुवार को आंदोलित हो गए. मुख्य द्वार पर धरना पर बैठ गए. गेट में तालाबंदी कर दी. ऐसा कदम उन्होंने लाचार और विवश होकर उठाया है. उनका कहना है कि हॉस्टल के नल में पानी नहीं आता. गंदगी का अंबार है, ऐसी बात नहीं है कि राज्य सरकार कोष का आवंटन नहीं करती, बावजूद सुविधा नहीं मिलती.
छात्रों ने मीडिया की टीम को मुख्य द्वार से लेकर समूचे इलाके में उग आए जंगल- झाड़ को भी दिखाया. कहा कि रात को असामाजिक तत्वों का यहां जमावड़ा होता है. कुछ भी कहने पर असामाजिक तत्व मारपीट पर उतारू हो जाते है. नल में पानी नहीं आता, बिजली नहीं रहती है. मच्छरों की भरमार है. यहां पर उन लोग पढ़ाई करने आए हैं, ना कि सुविधा मांगने के लिए आंदोलन करने. लगातार शिकायतों के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती. नतीजतन आज उन लोगों को धरना- प्रदर्शन करना पड़ा. इधर, प्रबंधन का कहना है कि राजकीय पॉलिटेक्निक का रकवा लगभग 80 एकड़ का है. बाउंड्री वॉल नहीं होने के कारण चारों ओर से रास्ते खुले हुए है. पॉलिटेक्निक के अगल-बगल चारों तरफ रास्ते भी है. ऐसे में जो सुरक्षाकर्मी कॉलेज में मौजूद है, उन्हीं से सुरक्षा का काम दिन-रात मिलाकर लिया जा रहा है. छात्रों की जो शिकायते है ,उन पर त्वरित कार्रवाई की जाएगी.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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