धनबाद(DHANBAD): इंडियन मेडिकल ग्रेजुएट अब विदेश में भी प्रैक्टिस कर सकते है. कनाडा ,ऑस्ट्रेलिया वगैरह में भी वह काम कर सकते है. राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को 10 साल के लिए वर्ल्ड फेडरेशन का मेडिकल एजुकेशन की मान्यता का दर्जा दिया गया है. सूत्रों के अनुसार इस मान्यता से भारतीय छात्रों को दुनिया में कहीं भी अपना करियर बनाने का मौका मिलेगा. यानी अब विदेशों में भारत की डिग्री के साथ वह अभ्यास कर सकते है. विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त मनको के कारण भारत अंतरराष्ट्रीय छात्रों की पहली पसंद भी बन सकता है. सूत्रों के अनुसार भारत में अभी मौजूद 706 मेडिकल कॉलेज अब वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेडिकल एजुकेशन से मान्यता प्राप्त होंगे.
देश के 706 मेडिकल कॉलेज खुद ब खुद हो जाएंगे मान्यताप्राप्त
सिर्फ इतना ही नहीं, आने वाले 10 वर्षों में तैयार होने वाले नए कॉलेज भी स्वत फेडरेशन फॉर मेडिकल एजुकेशन से मान्यता प्राप्त हो जाएंगे. फेडरेशन फॉर मेडिकल एजुकेशन एक वैश्विक संगठन है, जो दुनिया भर में चिकित्सा शिक्षा की क्वालिटी में सुधार के लिए काम करता है. वैसे पहले से ही प्रश्न किए जाते रहे हैं कि भारत में स्वास्थ्य कर्मियों की भारी कमी है, फिर भी हर साल हजारों डॉक्टर और नर्स विदेश का रुख करते है. 2017 के एक आंकड़े पर भरोसा करें तो बड़ी संख्या में भारत के डॉक्टर पश्चिमी देशों में काम कर रहे थे. कोरोना काल में भी इस पर चर्चा हुई कि भारत के "ब्रेन ड्रेन" को कैसे रोका जाये. अब तो प्रेक्टिस करने की अनुमति 10 सालों के लिए मिल गई है. केंद्र सहित राज्य सरकारों को भी अब स्वास्थ्य के क्षेत्र में विशेष ध्यान देना होगा. एक तो सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र में बहुत कम निवेश करती है और यहां सरकारी नियुक्तियां की प्रक्रिया भी बहुत धीमी है. इस वजह से भी लोग पहले से ही विदेश का रुख करते थे.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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