धनबाद(DHANBAD): कोयलांचल का अपना एक अलग अंदाज है .यहां के लोगों का कुछ अलग मिजाज भी है .अब तो नहीं, लेकिन पहले "लक्ष्मी" के लिए शहर की एक अच्छी आबादी पौ फटने के पहले जग जाती थी और झरिया के कतरास मोड़ पर तब तक जमी रहती थी, जब तक सूरज की किरणें परेशान ना कर दे. हालांकि कोयले के E ऑप्शन सिस्टम के बाद यह आदत लोगों की बदल गई है. अब मोबाइल और लैपटॉप के भरोसे कोयल का धंधा चल रहा है. फिर भी कोयला लोडिंग के लिए कोलियरियों में तो हाल पहले जैसा ही है. बिना रंगदारी के एक ढेला कोयला भी नहीं उठाता . उसे समय भी कोयलांचल को हथियारों का शौक था. लेकिन हाल के दिनों में यह शौक लाचारी में बदलती दिख रही है.
हथियार के लाइसेंस लेने के पीछे क्या है वजह
एक आंकड़े पर भरोसा करें तो पिछले 6-7 महीना में धनबाद के 50 से अधिक लोगों ने हथियार के लाइसेंस मांगे हैं. यह बात अलग है कि इनमें कुछ प्रतिशत लोग शौकिया होंगे, लेकिन मेजॉरिटी कारोबारियों की है. रंगदारों, गैंगस्टरों की करतूत के कारण लोग अब खुद की सुरक्षा के लिए किसी न किसी भी उपाय के लिए उठ खड़े हुए हैं. जानकारी के अनुसार 50 लोगों में से तीन दर्जन लोग ऐसे हैं, जो रंगदारों के डर ,भय से हथियार रखना चाह रहे हैं. हालांकि 50 लोगों की सूची में कारोबारी, डॉक्टर या अन्य पेशे से जुड़े लोग भी शामिल हैं. कोयलांचल में हाल की कुछ दिनों से रंगदारी के लिए फायरिंग कर देना, जान मरवा देना आम बात हो गई है. पुलिस कार्रवाई कर रंगदारी में शामिल लोगों को पकड़ रही है.
धनबाद में कारोबारियों का जीना दूभर
सूत्रों के अनुसार जिन लोगों ने हथियार की मांग की है, उनमें अधिक लोगों ने कारण यह बताया है कि फोन पर जान मारने की धमकी मिल रही है. रंगदारी मांगी जा रही है. कुछ नेता किस्म के लोग भी इस सूची में शामिल है, जो आपसी विवाद को कारण बताया है. यह बात अलग है कि हथियार का लाइसेंस मांगने वालों की पसंद पिस्टल है. यह बात भी सही है कि रंगदारों के कारण कम से कम कारोबारियों का तो जीना दूभर हो गया है.
धनबाद ही नहीं पूरे झारखंड में बढ़ रहा अपराध का ग्राफ
यह बात भी सच है कि झारखंड हाई कोर्ट भी अपराध पर लगाम लगाने के लिए गंभीर है. झारखंड के डीजीपी को चार सप्ताह के अंदर अपराध पर नियंत्रण के उपाय की जानकारी शपथ पत्र के माध्यम से देने का कोर्ट ने निर्देश दिया है. सिर्फ धनबाद ही नहीं पूरे झारखंड में अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है. देखना है, इस पर नियंत्रण लगाने के लिए सरकार और क्या-क्या उपाय करती है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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