फिल्मी अंदाज में धनबाद पुलिस ने किया ठगी गिरोह का पर्दाफाश, क्लाइंट बन पहुंचे ठगों के पास, फिर पढ़ें आगे क्या हुआ


धनबाद(DHANBAD):उनके लिए बीता कल black saterday था. पहुंचे तो थे ठगी करने के एक नए क्लाइंट के पास. लेकिन उन्हें क्या मालूम कि जिसके पास वह पहुंचे हैं, वह पुलिस का अधिकारी है. बस फिर क्या था, सिग्नल मिला नहीं कि उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. मामला कुछ ऐसा हुआ कि झारखंड के साहिबगंज के रहने वाले आशीष कुमार यादव ने पुलिस से शिकायत की किया कि नौकरी के नाम पर उनसे धनबाद के गैंग ने 6 लाख रुपए से भी अधिक की ठगी कर ली है. यह शिकायत आशीष यादव ने धनबाद थाने में की. फिर क्या था, पुलिस सक्रिय हुई और दो की गिरफ्तारी कर ली गई.
इसके पहले आशीष को बंगाल पुलिस और रेलवे की फर्जी नियुक्ति पत्र भेजा गया था
आपको बता दें कि इसके पहले आशीष को बंगाल पुलिस और रेलवे की फर्जी नियुक्ति पत्र भेजा गया था. नियुक्ति पत्र देखकर उसे कुछ संदेह हुआ. फिर उसकी जांच पड़ताल किया, तो पता चला कि यह फर्जी है .उसके बाद वह अपने ही गांव के अनिल कुमार चौरसिया, जो पैसा लेने का मास्टरमाइंड था, पर दबाव बढ़ाया. पैसा मांगने लगा. फिर अनिल चौरसिया ने कहा कि वह एक नए क्लाइंट खोज कर दे, पैसा वापस कर देगा. बस यही से ठगी गैंग का दुर्भाग्य शुरू हुआ. आशीष कुमार यादव की शिकायत पर धनबाद थाना के सब इंस्पेक्टर अभ्यर्थी बनकर नौकरी दिलाने के रैकेट के पास पहुंचे. साथ में आशीष भी था .यह सब हुआ धनबाद के गोल्फ ग्राउंड में. पुलिस अधिकारी के साथ जवान भी सिविल ड्रेस में थे. जैसे ही अनिल कुमार चौरसिया अपने एक अन्य साथी के साथ पहुंचा, सिग्नल मिलते ही जवानों ने उसे धर दबोचा.
धनबाद में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाला गिरोह पूरी तरह से सक्रिय है
अनिल कुमार चौरसिया का एक साथी धनबाद के स्टील गेट का रहने वाला अमित कुमार सेंगर बताया गया है. धनबाद में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाला गिरोह पूरी तरह से सक्रिय है. यह गिरोह धनबाद के रेलवे स्टेडियम में लोगों से मिलता था. अपने को रेलवे का अधिकारी बताता था. और लोगों से ठगी करता था. पुलिस की जांच में यह बात सामने आई है कि यह गिरोह अब तक 50 से अधिक बेरोजगारों से लाखों रुपए के ठगी कर चुका है. गिरोह में दर्जन भर युवक शामिल है, जो जगह और परिस्थिति के हिसाब से अपने को किसी न किसी विभाग का अधिकारी बताकर लोगों को झांसे में लेते थे. धनबाद में नौकरी के नाम पर ठगी करनेवाला गिरोह कोई पहली बार नहीं पकड़ाया है. इसके पहले भी कई लोग पकड़ में आ चुके हैं. पुलिस कार्रवाई भी करती है, लेकिन इनका नेटवर्क खत्म नहीं होता है. एक गैंग जेल जाता है, तो कोई और गैंग तैयार हो जाता है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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