झारखंड सरकार ने कोयला -लोहा पर बढ़ाया "बोझ" तो आगे क्या होगा असर, पढ़िए इस रिपोर्ट में


धनबाद(DHANBAD): देश के कोयला उत्पादक राज्यों में झारखंड एकमात्र राज्य है ,जहां कोकिंग कोयले का उत्पादन होता है. कोल इंडिया की तीन अनुषंगी कंपनी यहां काम करती है. इसके अलावे कमर्शियल माइनिंग भी होती है. लेकिन अब झारखंड का कोयला महंगा हो जाएगा. झारखंड सरकार ने कोयले पर प्रति टन ₹100 के सेस को बढ़ाकर 250 रुपए प्रति टन करने का निर्णय ले लिया है. अब अप्रैल 2025 से संशोधित दर पर खनिज धारित सेस की वसूली होगी. झारखंड को कोयला सहित अन्य खनिजो से सेस के रूप में बड़ी आमदनी होती है. झारखंड में औसतन प्रतिवर्ष 140 मिलियन टन से अधिक कोयले का उत्पादन होता है. झारखंड में बीसीसीएल, सीसीएल तथा ईसीएल की खदानें है.
कैपटिव और कमर्शियल कोयले की भी खदानें भी है
इसके अलावा कैपटिव और कमर्शियल कोयले की भी खदानें है. चालू वित्तीय वर्ष के फरवरी महीने तक सीसीएल से 75.85 और बीसीसीएल से 36.17 मिलियन टन कोयल का उत्पादन हो चुका है. बात इतनी ही नहीं है, ईसीएल की जो खदान झारखंड में है. वहां भी 20 मिलियन टन कोयले का उत्पादन होता है. सेस के जरिए कोयला कंपनियों से सरकार को बड़ा राजस्व मिलता है. सूत्र यह भी बताते हैं कि झारखंड सरकार खनिज भूमि धारित से 15000 करोड रुपए राजस्व को ध्यान में रखकर प्रस्ताव को स्वीकृत किया है. कोयले पर सेस के अलावा रॉयल्टी एवं डीएमएफटी के रूप में भी झारखंड सरकार को कोयले से अधिक कमाई होती है. सेस बढ़ने की वजह से उसी के अनुपात में कोयले की कीमत में बढ़ोतरी होगी.
कोल् इंडिया को अभी नहीं गई है जानकारी
हालांकि कोल इंडिया सूत्र बताते हैं कि आधिकारिक तौर पर झारखंड सरकार की ओर से सेस बढ़ाने की कोई जानकारी नहीं है. सूत्र यह भी बताते हैं कि यह सच है कि प्रति टन कोयले पर सेस का जो प्रभाव पड़ेगा, उसी हिसाब से कोयले की कीमत बढ़ेगी. वित्तीय वर्ष 25- 26 में अतिरिक्त राजस्व जुटाने के लिए झारखंड कैबिनेट ने खनिज धारित भूमि पर सेस की दर में बदलाव के लिए संशोधन का प्रस्ताव को मंजूर किया है. फिलहाल लोह अयस्क और कोयल पर ₹100 प्रतिदिन सेस लगता है. बता दें कि आयरन धारित जमीन पर₹100 की जगह₹400 प्रति टन सेस लेने का प्रस्ताव मंजूर किया गया है. मतलब साफ है कि झारखंड का कोयला और लोह अयस्क अब महंगा हो जाएगा.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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