पलामू : वन हमारे जीवन के लिए अहम स्थान रखते हैं. इसके साथ ही बेहद ही महत्वपूर्ण है. हमारे जीवन के साथ-साथ पारिस्थितिकी संतुलन बनाने के लिए वनों का होना बेहद जरुरी है. केंद्र और राज्य सरकार हर साल अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए लोगों को जागरूक करती रही है. केंद्र और राज्य सरकार की यही कोशिशें रहती है कि, हर हिस्से में वनों के प्रतिशत में बढ़ोत्तरी किया जा सके. वनों के संरक्षण से संबंधित अनेक कठोर नियम भी बनाए गए है. लेकिन, इस सख्त नियमों को दरकिनार करते हुए वनों की अवैध कटाई देखने को मिल रही है.
पेड़ों की अंधाधुंध कटाई
दरअसल, पलामू के पाटन प्रखंड अंतर्गत ग्राम कोल्हुआ और गौरमारा सहित सटे हुए सभी क्षेत्रों में वनों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है. दिलचस्प बात यह है कि एक ओर सरकार जहां अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित कर रही है वहीं ठीक इसके विपरीत प्रशासन की मिलीभगत से सरकार की उद्देश्यों को चुनौती देते हुए, नियमों की परवाह किए बिना, कुछ लोग अंधाधुंध पेड़ काट रहें हैं. यहां सवाल उठ रहा है कि प्रशासन की आंखों देखी आखिर ये सब कैसे हो रहा है. प्रश्न ये भी लोगों के मन में है कि बिना मिलीभगत के पेड़ों की अंधाधुंध कटाई तो नहीं हो सकती.
बेजार हो रहें हैं वन
बताया जाता है कि 2011 में इस पूरे क्षेत्र में वन विभाग द्वारा कई लाख पेड़ लगाए गए थे. पौधों की देखभाल के लिए अलग-अलग हिस्से के लिए कई अधिकारी भी नियुक्त किए गए. निश्चित रूप से अगर इन सारे पेड़ों को बचा लिया जाता तो एक सघन वन इन क्षेत्रो में नज़र आता. लेकिन, आलम ये है कि इन लाखों पेड़ों में से चंद पेड़ बचे हुए हैं . इतना ही नहीं पहले से मौजूद पेड़ों की भी अंधाधुंध कटाई हो रही है.
आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोग भी मानते है कि रात में पेड़ों की कटाई बेरोक-टोक किया जा रहा है. अगर यही सिलसिला चलता रहा, तो फिर हमारे जंगल बंजर हो जाएगे और बेजार दिखेंगे. ग्रामीणों की माने तो इन क्षेत्रों में नियुक्त वन के अधिकारी कभी ड्यूटी करते नही देखे जाते है. पूरे प्रक्षेत्र के ग्रामीणों ने एक सुर में पलामू डीएफओ, उपायुक्त पलामू से अंधाधुध हो रही कटाई को रोकने का अनुरोध किया है.
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