रांची (RANCHI) : झारखंड में चुनाव संपन्न हो गया. मंत्रिमंडल का विस्तार भी हो गया है. अब समय है चुनाव के दौरान जनता से किए वादों को निभाने का. उन्हीं वादों में से एक वादा है मंईयां सम्मान योजना. मुख्यमंत्री के घोषणा के अनुसार कल यानी 11 दिसंबर से मंईयां सम्मान योजना की पांचवीं किस्त भी लाभूकों के खाते में आने शुरू हो जाएंगे. लेकिन इस योजना को सुचारू रुप से चलाने के लिए सरकार को पैसों की जरूरत होगी. अब सवाल यह है कि इस योजना पर खर्च होने वाले राशि का इंतजाम कैसे होगा? सरकार के लिए भी पैसे जुटाना एक चुनौती बन गया है, क्योंकि बजट में मंईंयां सम्मान योजना के लिए कोई प्रावधान नहीं था. अब सरकार पर अचानक से इस योजना का बोझ आ पड़ा है. यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि मंईयां सम्मान योजना अब सरकार के लिए भी जी का जंजाल बनने लगा है.
कर्ज भी ले सकती है हेमंत सरकार
हालांकि चालू वित्त वर्ष में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के कारण 4 महीने तक आचार संहिता लगी रही. इस कारण कई योजनाओं का पैसा खर्च नहीं हो सका. अब इसका इस्तेमाल सरकार द्वारा किया जाएगा. मंईयां योजना के लिए सरकार ने 12 विभागों से अबतक 4 हज़ार करोड़ का इंतजाम भी कर लिया है. समाज कल्याण और ऊर्जा मंत्रालय की कई योजनाओं की राशि सरेंडर करके भी पैसों का इंतजाम किया गया है. इसके अलावा पिछले साल सरकार ने कोई कर्ज नहीं लिया, बल्कि 2505 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाया था, चालू वित्तीय वर्ष में बाजार से कर्ज लेने की सीमा 18,000 करोड़ रुपये तक है. सरकार ने अभी तक सिर्फ 3000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है. जरूरत पड़ने पर 15000 करोड़ रुपये तक का कर्ज लिया जा सकता है.
जानिए वित्त मंत्री ने क्या कहा
वहीं इसको लेकर वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने कहा कि जरूरतमंदों को ध्यान में रखते हुए मंईयां सम्मान योजना शुरू की गई है. ऐसी योजनाओं के लिए धन की आवश्यकता होगी. राजस्व जुटाने की जरूरत है. यह सरकार के लिए चुनौती है, लेकिन यह संभव है. उन्होंने कहा कि इस राज्य को उतना राजस्व संग्रह नहीं मिला, जितना मिलना चाहिए था. राज्य सरकार संसाधन बढ़ाने पर गंभीरता से विचार कर रही है. राज्य का वित्तीय प्रबंधन ठीक है. सरकार अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कदम उठा रही है. जन कल्याणकारी योजनाओं के लिए धन की कमी नहीं होने दी जाएगी.
जानिए किन विभागों से 4 हज़ार करोड़ का हुआ इंतजाम
सरकार ने पेयजल, ग्रामीण विकास और खाद्य आपूर्ति समेत करीब एक दर्जन विभागों से 4000 करोड़ सरेंडर करवाए हैं. पेयजल से 1400 करोड़, ग्रामीण विकास से 900 करोड़ और खाद्य आपूर्ति से 600 करोड़ सरेंडर हुए हैं. योजना, कृषि, आईटी, शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग और जल संसाधन के अलावा खनन सेस से 1000 करोड़ भी पैसा सरेंडर किया है.
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