टीएनपी डेस्क (TNP DESK):-उम्मीदें आसमान पर अभी भी टिकी है कि झमाझम बारिश से झारखंड के किसान गदगद हो जायेंगे. लेकिन, उनकी आंखों में चमक अब फिकी पड़ते जा रही है. राज्य के अन्नदाताओं का संकट बरसात के इस मौसम में गहराता ही जा रहा है . प्रदेश लगातार दूसरी साल सुखाड़ की ओर बढ़ रहा है. झारखंड बनने के बाद यह 11वां मौका है कि सूखे की स्थिति बन रही है.
नहीं हो सकी पूरी धनरोपनी
इस बार झारखंड धान रोपनी अभी तक उतनी नहीं हो सकी जितनी होनी चाहिए थी. राज्य में कुल 18 लाख हेक्टेयर जमीन पर धान की रोपाई का टारगेट रखा गया था. जो अभी तक नहीं हो सका है. कृषि विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक 16 अगस्त तक लक्ष्य का सिर्फ 37.76 प्रतिशत ही रोपनी हो पाई है. हालांकि पिछले साल से यह करीब सात प्रतिशत ज्यादा है. पिछले साल 30.40 प्रतिशत रोपनी हुई थी. राज्य में अभी भी कई जिले ऐसे हैं, जहां सिर्फ नाममात्र की रोपनी हुई है.
मॉनसून की बेरुखी जिम्मेदार
मॉनसून की बेरुखी के चलते ऐसे हालात पैदा हो गये हैं. बारिश तो मानों लुका-छिपी का खेल खेल रही है. प्रदेश में जून-जुलाई में राज्य में काफी कम बारिश हुई. अगस्त में मानसून ने गति पकड़ी, लेकिन फिर उसकी रफ्तार कम पड़ गई. धान की रोपनी का सही वक्त 31 जुलाई तक माना जाता है. लेकिन, झारखंड में धोन की रोपाई किसान 15 अगस्त तक भी करते हैं. समस्या यह है कि अगर रोपाई हो भी जाए तो फिर पैदवार सही नहीं होती है. उत्पादन कम होने से किसानों की मेहनत के मुताबिक फल नहीं मिलता है. अभी जो हालात मौसम की बेईमनी से जो हुए हैं. उससे किसानों के चेहरे पर मुस्कान गायब होते जा रही है.
पांच जिलों में 10 फीसदी से कम धानरोपनी
झारखंड के पांच जिले ऐसे है, जहां अभी भी धोन की रोपनी खेतों में दस प्रतिशत से भी कम हुई है. इसमें गढ़वा, पलामू, धनबाद, दुमका और जामताड़ा जिला शामिल है. गढ़वा में 8.43%, पलामू में 2.79%, धनबाद में 9.12%, दुमका में 4.52% व जामताड़ा में 5.16% रोपनी हुई है.
अभी तक 37 प्रतिशत कम बारिश
सूखे की दस्तक की डर से किसान के चेहरे मायूस है , इसके पीछे वजह है कि अभी तक 37 प्रतिशत कम बारिश हुई है. इस बार गुरुवार तक राज्य में 678.3 एमएम बारिश होनी थी. लेकिन, 424.2 एमएम ही हुई है. हालत तो ऐसी है कि अभी तक 50 प्रतिशत से भी कम बारिश हुई है. सबसे दायनीय स्थिति चतरा जिले की है. जहां 60 प्रतिशत कम वर्षा हुई है.
लगातार दूसरे साल सूखाड़ के हालात
बिहार से अलग राज्य बनने के बाद झारखंड में 10 बार सूखे के हालत पैदा हो चुके है . अगर इस साल भी बरसात भरपूर नहीं हुई तो फिर राज्य 11 वीं बार सुखाड़ा झेलेगा. सूखे की स्थिति झारखंड कई बार झेल चुका है. इसके बावजूद भी 23 सालों में इससे निपटने और जल प्रबंधन की दिशा में न तो कोई कारगर कदम उठाए गये हैं और न ही सिंचाई के पर्याप्त इंतजाम किए गये हैं.
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