Gangs of Jamtada: जामताड़ा के "डीके बॉस गैंग" का फर्जी ऐप एंटी वायरस की पकड़ में भी क्यों नहीं आता, पढ़िए इस रिपोर्ट में !
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धनबाद (DHANBAD) : झारखंड के कुख्यात जामताड़ा में अभी हाल ही में पकड़ाये 6 साइबर अपराधियों के गिरोह ने पूरे देश की पुलिस का ध्यान अपनी ओर खींचा है. पुलिस भी उनकी करतूत सुन-जानकर हैरत में है. यह गिरोह केवल फर्जी ऐप ही तैयार नहीं करता, बल्कि उनका यह फर्जी ऐप एंटी वायरस की पकड़ में ना आये. इसका भी तोड़ उन लोगों के पास मौजूद है. जामताड़ा में डीके बॉस के नाम से 11 करोड़ से अधिक की ठगी कर चुके साइबर अपराधियों के इस गिरोह से पूछताछ में इन सब बातों का खुलासा हुआ है.
सीआईडी भी जुटी अब तोड़ निकालने में
खुलासे के बाद झारखंड सीआईडी और केंद्रीय गृह मंत्रालय की संस्था आई 4 सी के द्वारा नए साइबर ठगी के मॉडल की तोड़ निकालने की कोशिश शुरू हो गई है. यह बात भी सच है कि पुलिस साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी तो कर रही है, लेकिन नई-नई तरकीब से नए नए गिरोह लगातार ठगी कर रहे है. जामताड़ा पुलिस ने जिन 6 लड़कों को गिरफ्तार किया था. उनमें से पांच गिरिडीह के और एक देवघर के है.
देवघर में दो दिनों में 20 साइबर अपराधी हुए है गिरफ्तार
इधर, देवघर में साइबर थाने की पुलिस ने दो दिनों में 20 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है. यह लोग फर्जी नंबरों से फर्जी बैंक अधिकारी, कस्टमर केयर व सरकारी विभाग के कर्मचारी बनकर लोगों को ठग रहे थे. बता दे कि अब तक झारखंड का कुख्यात जामताड़ा यह कह रहा था कि फोन उठाओगे, तो लुट जाओगे, लेकिन अब उन लोगों ने बड़ी तरकीब निकाल ली है. अभी तक तो यही जानकारी थी कि जामताड़ा में साइबर अपराधियों की पाठशाला चलती है. वहां से निकलकर अपराधी देश के विभिन्न हिस्सों में फैल गए है. जामताड़ा पुलिस को मिली एक बड़ी कामयाबी से यह खुलासा हुआ है कि अब तो यह ऐप भी बनाते है. बनाकर उसे बेचते हैं भी है. उनके इस फर्जी एप एंटी वायरस की पकड़ में भी नहीं आता है.
जामताड़ा पुलिस ने देश के 415 एफआईआर से जुड़े गैंग को पकड़ा था
बता दें कि जामताड़ा पुलिस ने शनिवार को देश भर में 415 एफआईआर से जुड़े 6 आरोपियों की गिरफ्तारी की. इस गिरोह पर 11 करोड रुपए से भी अधिक की ठगी करने का आरोप है. इनकी गिरफ्तारी नारायणपुर से शनिवार को की गई थी. आरोपियों में पांच गिरिडीह एवं एक जामताड़ा के रहने वाले है. यह बहुत अधिक पढ़े -लिखे नहीं है. बताया जाता है कि इन अपराधियों के बने ऐप को डाउनलोड करते ही डिवाइस का नियंत्रण उनके पास चला जाता है. इससे साइबर अपराधियों को मोबाइल में रखे बैंक अकाउंट, पासवर्ड, एटीएम कार्ड का नंबर सहित सभी जानकारी मिल जाती है. इसके बाद वह असली खाताधारक से बगैर कुछ पूछे ही बैंक से पैसा निकालने में सक्षम हो जाते है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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