बसंत पंचमी पर कभी खचाखच भरी रहती थी मिथिलांचल वासियों से देवघर, लेकिन इस वर्ष क्यों हुई इनकी संख्या कम, पढ़िए पूरी खबर

देवघर(DEOGARH): देवघर में बसंत पंचमी के मौके पर बाबा बैद्यनाथ का तिलकोत्सव मनाने की अतिप्राचीन परंपरा चली आ रही है. ऋषि-मुनियों से शुरू हुई इस परंपरा को आज तक मिथिलांचल वासी निभाते आ रहे हैं. मिथिलांचल से कई टोलियों में लोग सुलतानगंज पहुंचते है और फिर वहां स्थित उत्तरवाहिनी गंगा से एक विशेष तरह के कांवर में जल भर श्रद्धालू देवघर पहुंचते हैं और बाबा को हिमालय पुत्री मां पार्वती के विवाह में शामिल होने का निमंत्रण दे कर वापस अपने घर लौटते हैं. मिथिलांचल से ताल्लुक रखने वाली मां पार्वती का विवाह भोलेनाथ से हुआ है. इसलिए ये लोग बाबा बैद्यनाथ को अपना संबंधी बताते हैं. यही कारण है कि ये लोग बसंत पंचमी पर बाबा के तिलक का रश्म अदा करते हैं.
इस साल कम संख्या का कारण
मिथिलांचल से लोग बाबा के तिलकोत्सव में शामिल होने प्रत्येक वर्ष बसंत पंचमी से पूर्व बाबा का जलाभिषेक करने देवघर आते हैं. विशेष प्रकार के कांवर,वेश-भूषा और भाषा से अलग पहचान रखने वाले ये मिथिलावासी अपने को बाबा का संबंधी मानते हैं और इसी नाते बाबा के तिलकोत्सव में शामिल होने देवघर आते हैं. कई टोलियों मे शहर के कई जगहों पर इकठ्ठा होते हैं और बड़ी श्रद्धा से पूजा-पाठ, पारंपरिक भजन-कीर्तन कर बसंत पंचमी के दिन का इंतज़ार करते हैं. शहर के जिस स्थान पर ये लोग ठहरते हैं वह स्थान खचाखच भरी रहती है. लेकिन फिलहाल अभी न के बराबर भीड़ है. जिसका कारण है महाकुंभ. महाकुंभ का आयोजन चल रहा है. ऐसे में मिथिलांचल वासियों की मानें तो अधिकांश लोग कुंभ स्नान में चले गए होंगे. फिर भी इन्हें उम्मीद है कि बड़ी संख्या में लोग कल से परसो यानी 1 से 2 फरवरी तक आ जाएंगे. इन लोगों का मानना है कि जो परंपरा चली आ रही है उसे मिथिलांचल वासी अवश्य निभाते हैं.
बाबा को बारात में शामिल होने का न्यौता भी देते हैं
भोलेनाथ को तिलक चढ़ाने के दौरान मिथिलांचल वासी शिव बारात में शामिल होने का न्यौता बाबा को देते हैं. पूजा-अर्चना करने के बाद बाबा मंदिर परिसर में अबीर-गुलाल उड़ा कर एक-दूसरे को लगाते हैं. बसंत पंचमी के दिन से ही इन लोगों का होलियाना माहौल शुरू हो जाता है. देवघर में बाबा बैद्यनाथ का तिलकोत्सव मनाने के बाद ये लोग अपने-अपने घर की ओर लौट जाते हैं और शिव बारात की तैयारी में जुट जाते हैं.
रिपोर्ट: ऋतुराज
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