धनबाद(DHANBAD): झारखंड में लोकसभा और विधानसभा का चुनाव 2024 में संभावित है. इसको लेकर सभी दल अपने-अपने ढंग से तैयारी में अभी से जुट गए है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश का कार्यकाल भी खत्म हो गया है. अगर धनबाद की बात करें तो धनबाद महानगर और ग्रामीण जिला अध्यक्ष का भी कार्यकाल समाप्त हो गया है. सभी जानते हैं कि चुनाव में प्रदेश अध्यक्ष की जितनी बड़ी भूमिका होती है, उतनी ही भूमिका जिले में जिला अध्यक्षों की होती है. जाहिर है 2024 के चुनाव को लेकर प्रदेश स्तर पर कोई बड़ी रणनीति बन रही होगी. कौन प्रदेश अध्यक्ष बनेंगे, इसको लेकर कयासों का बाजार गर्म है. लेकिन इधर, धनबाद में भी महानगर और ग्रामीण जिला अध्यक्ष को लेकर रस्साकशी कम नहीं है.
धनबाद भाजपा में सक्रिय है तीन गुट
कहा जाता है कि धनबाद भाजपा में तीन गुट काम करते है. ऊपर से तो तीनों गुटों में कोई मतभेद नहीं दिखता लेकिन भीतर ही भीतर कई तरह की खिचड़ी पकती है. टिकट पाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाए जाते हैं, टिकट के बाद चुनाव लड़ने के समय भी कम राजनीति नहीं होती है. नामी-गिरामी पार्टियों का जिसे टिकट मिल गया, वह अपने को धन्य समझता है. लेकिन कार्यकर्ताओं को समेटना, एकजुट रखना किसी भी दल के उम्मीदवारों के लिए परेशानी होती है. ऐसे में धनबाद जिला महानगर और ग्रामीण जिला अध्यक्ष किसका होगा, इस पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा.
अपने अपने समर्थको की लॉबिंग करेंगे विधायक
जाहिर है गुटबाजी में फंसे नेता अपने-अपने पक्ष के लोगों को जिला अध्यक्ष बनाने की कोशिश करेंगे. धनबाद में फिलहाल महानगर के अध्यक्ष चंद्रशेखर सिंह है, वह सांसद पीएम सिंह के कट्टर समर्थक बताए जाते है. जबकि ग्रामीण भाजपा के अध्यक्ष ज्ञानरंजन है ,वह बाबूलाल मरांडी के कोटे से ग्रामीण जिला अध्यक्ष बने है. लेकिन अब दोनों का कार्यकाल खत्म हो गया है. वैसे कहा जाता है कि चंद्रशेखर सिंह लगातार दो बार जिला अध्यक्ष रह चुके है. एक बार एकीकृत धनबाद जिले के अध्यक्ष तो दूसरी बार बंटवारे के बाद महानगर के जिला अध्यक्ष बने है. नियम के अनुसार चंद्रशेखर सिंह तीसरी बार अध्यक्ष नहीं बन सकते है. ऐसे में चंद्रशेखर सिंह की जगह कोई दूसरा ही अध्यक्ष बनेगा. महानगर के अध्यक्ष बनने वाले पर कई विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने वालों की नजर रहेगी. वैसे, प्रदेश अध्यक्ष का भी कार्यकाल खत्म हो गया है और संभवत कर्नाटक चुनाव के बाद घोषणा हो सकती है और इसके बाद धनबाद जिला महानगर और ग्रामीण जिलाध्यक्ष का भी चयन हो सकता ही.
सांसद पशुपतिनाथ सिंह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं
धनबाद के सांसद पशुपतिनाथ सिंह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं लेकिन प्रदेश में अभय कांत और धनबाद में सत्येंद्र कुमार के अध्यक्ष बनने के बाद चुनाव नहीं हुए है. प्रदेश अध्यक्ष आलाकमान की मर्जी से और जिला अध्यक्ष स्थानीय सांसद और विधायकों की सहमति से बनते रहे है. इस बार महानगर का जिलाध्यक्ष कौन होगा ,यह तो कहना कठिन है लेकिन इतना तो तय है महानगर का जिला अध्यक्ष बनाने में इस बात का जरूर ख्याल रखा जाएगा कि विधायक ढुल्लू महतो और पूर्व मेयर शेखर अग्रवाल का कोई आदमी नहीं बने. वैसे भी धनबाद के भाजपा विधायक और शेखर अग्रवाल में 36 का आंकड़ा है. कुल मिलाकर फिर मामला सांसद के पास ही जाएगा और जिस के सिर पर सांसद का हाथ रहेगा, वही महानगर जिला अध्यक्ष बन सकता है. वैसे कर्नाटक में चुनाव प्रचार का सोमवार को अंतिम दिन है. 10 मई को वोट डाले जाएंगे, परिणाम के बाद हो सकता है कि प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा हो और उसके बाद धनबाद जिला महानगर और ग्रामीण जिला अध्यक्ष का चयन किया जा सके.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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