रांची (TNP Desk) : झारखंड में बेरोजगारी, महंगाई, बिजली, पानी, सड़क सहित कई समस्याएं हैं लेकिन बेरोजगारी का दंश इस राज्य में सबसे ज्यादा है. बदलते समय के साथ बेरोजगार नौजवानों की संख्या भी बढ़ती ही जा रही है. यही कारण है कि यहां के लाखों लोग दूसरे राज्यों में रोजगार की तलाश में पलायन लिए विवश जाते हैं. अगर उन्हें स्थानीय स्तर पर रोजगार का साधन मिल जाए तो वे दूसरे राज्यों में दर-दर की ठोकरें नहीं खायेंगे. लेकिन ओर कोई काम नहीं करता है, सिर्फ वादे करके ही अपना पूरा कार्यकाल निकाल देते हैं. अभी कुछ दिनों के बाद लोकसभा चुनाव 2024 का एलान हो जाएगा, चुनाव प्रचार में भी विभिन्न दलों के नेताओं के द्वारा कई वादे किये जायेंगे, जिसमें प्रमुख मुद्दा रोजगार रहेगा. पक्ष-विपक्ष के नेता भी बोलेंगे इस राज्य में बेरोजगारी बड़ी समस्या है इसे दूर करने का हम वादा करते हैं, लेकिन कोई नेता स्थानीय स्तर पर कोई काम नहीं किया है. वहीं बेरोजगारी की समस्या को खत्म करने के लिए वन विभाग ने एक बड़ी पहल की है.
विभिन्न डैम और झीलों में बोटिंग की व्यवस्था कर रहा वन विभाग
आपको बता दें कि वन विभाग झारखंड के विभिन्न डैम और झीलों में बोटिंग की व्यवस्था कर रहा है, ताकि डैम और झील घूमने आने वाले लोग बोटिंग कर झारखंड की प्राकृतिक सुंदरता का लुत्फ उठा सकें. साथ ही स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिल सके. जिसकी तैयारी वन विभाग की ओर से शुरू कर दी गयी है. इसकी शुरुआत रांची के गेतलसूद डैम से की जा रही है.
रांची के गेतलसूद डैम से वन विभाग की शुरुआत
इस संबंध में जिला वन पदाधिकारी श्रीकांत वर्मा ने बताया कि इसकी शुरुआत रांची के गेतलसूद डैम से की जा रही है. आने वाले दिनों में अन्य झीलों और जलाशयों पर भी बोटिंग शुरू की जायेगी. स्थानीय लोगों को रोजगार से जोड़ा जा सके, इसके लिए व्यवस्था शुरू की जा रही है. इसकी जिम्मेदारी लिटमस मरीन नामक संस्था को दी गई है. संस्था गेतलसूद डैम के आसपास रहने वाले लोगों को बोटिंग का प्रशिक्षण दे रही है. जो लोग प्रशिक्षण ले रहे हैं उन्हें नाविक का लाइसेंस भी दिलाया जा रहा है.
वन विभाग की पहल पर ग्रामीणों ने जताई खुशी
वन पदाधिकारी ने बताया कि नौकायन सुविधाओं को मजबूत करने के बाद डैम और झीलों के आसपास सौंदर्यीकरण भी किया जाएगा. वन विभाग की इस पहल के पीछे मुख्य कारण झारखंड के सुदूरवर्ती और ग्रामीण इलाकों में रहने वाले मूल निवासियों को रोजगार उपलब्ध कराना है. वन विभाग की इस पहल पर स्थानीय लोगों ने भी खुशी जताई.
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