दुमका(DUMKA): झारखंड की उपराजधानी दुमका संताल बाहुल्य जिला है. संताल समुदाय के लोग प्रकृति पूजक हैं. प्रकृति के प्रति इनकी आस्था ऐसी की वन विभाग द्वारा तिथि विशेष को ट्रेंच कटिंग से ग्रामीण नाराज हो गए और जेसीबी मशीन जप्त करते हुए काम बंद करा दिया. पूरा मामला दुमका जिला के मसलिया प्रखण्ड के बसकीडीह पंचायत के घांसीमारनी गांव का है. ग्रामीणों ने रविवार को आषाढ़ मास की सप्तमी तिथि को वन विभाग द्वारा ट्रेंज कटिंग के लिए जेसीबी मशीन से मिट्टी खोदने से नाराज होकर काम को बंद करा दिया है. वर्षों से चली आ रही परंपरा को तोड़ने के कारण ग्रामीणों ने पूजा पाठ किया और मांझीथान में पूजा क्षमा याचना के लिए खर्च की मांग पर अड़ गए हैं. ग्राम प्रधान प्रधान मुर्मू, नाइकी बाबा अनिल मुर्मू, कुडाम नाइकी प्रह्लाद मांझी, जोग मांझी नूनका मुर्मू, प्राणिक सोबान मुर्मू व गुड़ित दुर्गा मिर्धा ने बताया कि जब तक पूजा व शुद्धिकरण का खर्च नहीं दिया जाएगा तब तक जेसीबी मशीन को नहीं छोड़ा जाएगा. इन लोगों ने कहा कि विभाग के जेसीबी ऑपरेटर सफुर अंसारी व मुंशी सुब्रत सिंह ने जान बूझकर परंपरा को तोड़ा है.
क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीणों ने बताया कि वन विभाग के सामाजिक वानिकी, तसर विभाग आदि इन दिनों मसलिया के वन क्षेत्र गोचर पुरातन पतित जमीन में ट्रेंज कटिंग कराकर पौधरोपण करा रही है. इसके लिए घांसीमारनी गांव के ग्रामीणों ने घासीमारनी मौजा के दाग संख्या 255, 1672, 785, 1689, 1955 व 1824/2081 के आंशिक जमीन पर ग्रामीणों ने पट्टा बंदोबस्ती लिया है. इसका मालगुजारी भी भरते आ रहा है लेकिन वन विभाग जबरन जमीन पर वृक्षारोपन का काम के लिए ट्रेंज कटिंग चालू कर दिया है. इसको लेकर ग्रामीणों ने अंचल अधिकारी, प्रमुख, उपायुक्त व विधायक को लिखित शिकायत कर वन विभाग के द्वारा कब्जा किये जा रहे जमीन पर जांचोपरांत कार्रवाई की मांग की है. लेकिन आज तक कोई भी गांव पहुंच कर ग्रामीणों की सुध नहीं लिया है.
जब तक पूजा का खर्च नहीं दे दिया जाता, जेसीबी मशीन को तब तक कब्जे में रखेंगे
उधर वन विभाग की ओर से जमीन की घेराबंदी के लिए द्रुत गति से ट्रेंज कटिंग करवाया जा रहा है. आषाढ़ मास की सप्तमी तिथि को भी जेसीबी मशीन से मिट्टी खुदाई कर दिया है. ग्रामीणों ने बताया कि आदिवासी धरती माता, पेड, जानवर आदि को अपना ईष्ट मानते हैं. आषाढ़ महीने के सप्तमी से लेकर नवमी तिथि तक सभी घर में मिट्टी खोदने वाला औजार धोकर रख देते हैं. ताकि मिट्टी खरोचा न जाय. लेकिन विभाग के कर्मियों ने पहले आस्ताजोड़ा गांव में मिट्टी खोदा जिसपर वहां के ग्रामीणों ने काम को बंद कराया. वहां से घासीमारनी गांव में आकर खुदाई कर दिया. ग्रामीणों ने बताया कि इसके लिए 11 पाठा की बलि देकर क्षमा याचना करनी होगी अन्यथा गांव में विपत्ति आ सकती है. ग्रामीणों ने कहा कि ऐसे ही पानी नहीं गिर रहा है. यदि देवी क्रोधित हुई तो न जाने क्या होगा. इसके लिए जेसीबी मशीन को तब तक कब्जे में रखा है जब तक पूजा का खर्च नहीं दे दिया जाता है. मौके पर लिखन सोरेन, महेश्वर मुर्मू, सुनिराम हेम्ब्रम, वार्ड लोगेन मुर्मू,मानधन मुर्मू, लनिन मिर्धा, बलाय किस्कू, महादेव मुर्मू, कामदेव मुर्मू, पार्थ, मुड़गू, सहदेव, सिनन्द, नागेश्वर, राजेश, सिलेंद, महेंद्र नाथ, दुर्याेधन, लवेश्वर आदि मौजूद थे. वन पाल अजित सिंह ने बताया कि जमीन की एनओसी अंचल कार्यालय से प्राप्त है. 255 दाग संख्या को छोड़ दिया गया है. जेसीबी मशीन के कंपनी वालों को ग्रामीणों के साथ समझौता करने के लिए बोला गया है.
रिपोर्ट: पंचम झा
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