दुमका(DUMKA):बिहार से अलग झारखंड राज्य बना और दुमका को झारखंड की उपराजधानी का दर्जा मिला. जिसके आधार पर दुमका में झारखंड उच्च न्यायालय की खंडपीठ स्थापित करने की मांग शुरू हुई.अलग राज्य बने 23 वर्ष गुजर गए, लेकिन आज तक दुमका में उच्च न्यायालय का खंडपीठ स्थापित नहीं हो पाया. सरकार के स्तर से इस मांग को लेकर कुछ कार्य भी किए गए लेकिन आज भी इस मांग को लेकर समय समय पर आंदोलन की जाती है. खासकर चुनाव के पूर्व यह मांग जोर पकड़ती है. चुनाव लड़ने वाले प्रत्यासी और दल अधिवक्ताओं का विश्वास जीतने के लिए दुमका में झारखंड उच्च न्यायालय की खंडपीठ स्थापित कराने का भरोसा भी देते हैं लेकिन चुनाव जीतते ही मुद्दा भूला दिया जाता है.
अधिवक्ताओं ने काला बिल्ला लगाकर निकाला मौन जुलूस
वर्ष 2024 चुनावी वर्ष है. एक बार फिर दुमका में झारखंड उच्च न्यायालय का खंडपीठ स्थापित करने की मांग को लेकर जिला अधिवक्ता संघ द्वारा आंदोलन की शुरुआत की गई है, एक दिवसीय धरना प्रदर्शन के बाद शनिवार को दुमका के अधिवक्ताओं ने काला बिल्ला लगाकर शहर में मौन जुलूस निकाला. शहर के विभिन्न मार्गों से गुजरते हुए जुलूस समाहरणालय पहुंचा जहां राज्यपाल के नाम जिला प्रशासन को स्मार पत्र समर्पित किया.
जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष ने कहा अधिवक्ताओं का संघर्ष अब विराम नहीं होगा
जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष ने कहा अधिवक्ताओं का संघर्ष अब विराम नहीं होगा जबतक मांग पूरी नहीं होगी. देवघर विधायक नारायण दास और मंत्री आलमगीर आलम के भ्रामक बयान के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है, जबकि हाईकोर्ट की बेंच बनाने को लेकर दुमका में जमीन भी उपलब्ध है. दुमका के सभी जनप्रतिनिधि, पूर्व मुख्यमंत्री बाबुलाल मरांडी, सांसद सुनील सोरेन, विधायक बसंत सोरेन से निवेदन होगा कि हाईकोर्ट मामले में संज्ञान लेते हुए दुमका में हाईकोर्ट की बेंच स्थापना को लेकर अपना योगदान दें. उन्होंने प्रमंडलीय आंदोलन की भी चेतावनी दी है.
रिपोर्ट-पंचम झा
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