धनबाद(DHANBAD) : बिजली उपभोक्ताओं के "नाक में दम" करने के बाद झारखंड सरकार की नींद टूटी है. अब सिस्टम जेनरेटेड बिजली बिल को वापस लेने का निर्देश दिया है. जो भी उपभोक्ता सिस्टम जेनरेटेड बिल को लेकर परेशान थे. निश्चित रूप से अब उनको राहत मिलेगी. मीटर रीडिंग के बाद ही अब बिल बनेगा. कहा जा सकता है कि बिजली विभाग को उपभोक्ताओं से पैसा लेने की तरकीब भी नहीं आती. आखिर क्या वजह है-ऊर्जा मित्र बार-बार हड़ताल पर चले जा रहे है. कौन सी उनकी मांग रहती, जिसे पूरा करने में बिजली विभाग को अड़चन पैदा होती है. किसी भी उपभोक्ता के लिए महीने के खर्च का गणना करना होता है. उसी हिसाब से खर्च निर्धारित करते है. लेकिन यहां तो हर 6- 8 महीने पर ऊर्जा मित्र हड़ताल पर चले जाते हैं और भारी भरकम बिजली का बिल एक बार उपभोक्ताओं को थमा दिया जाता है.
विभाग ने उपभोक्ताओं को एवरेज बिल भेजा था
बताया जाता है कि झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड ने उपभोक्ताओं को एवरेज बिल भेजा था. यह बिल वास्तविक खपत से अधिक था. ऊर्जा मित्रों की हड़ताल को लेकर राजस्व के नुकसान को देखते हुए मुख्यालय ने उपभोक्ताओं को सिस्टम जेनरेटेड बिल बनाकर उनके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर भेजने का निर्देश दिया था. उसके बाद ऐसा ही किया गया. बिना मीटर रीडिंग के बिल मिलने से उपभोक्ता परेशानी में थे. कम बिजली खपत पर भी अधिक बिल आने का उपभोक्ता विरोध कर रहे थे. कई बार बिजली कार्यालय में हंगामा भी हुआ. उपभोक्ताओं की नाराजगी को देखते हुए सिस्टम जेनरेटेड बिल को रद्द करने का मुख्यालय ने आदेश दिया है. अब मीटर रीडिंग पर ही बिलिंग होगी. यानी मीटर रीडिंग के बाद ही बिजली बिल लोगों को मिल पाएगा. लेकिन पेंच यहां फस रहा है कि ऊर्जा मित्र अभी भी हड़ताल पर है. दो माह से बकाया वेतन की मांग को लेकर धनबाद एरिया बोर्ड के ऊर्जा मित्र हड़ताल पर है.
हड़ताल की वजह से लगभग दो महीने से बिलिंग कार्य ठप है
हड़ताल की वजह से लगभग दो माह से ज्यादा समय से ऊर्जा मित्रों ने बिलिंग का कार्य ठप कर रखा है. हड़ताल खत्म करने के लिए अब जाकर बिजली वितरण निगम के अधिकारियों ने हस्तक्षेप किया है. एजेंसी और ऊर्जा मित्रो के बीच कई चक्र की वार्ता भी हुई है. लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकल पाया है. इधर, सूत्रों ने दावा किया है कि दो-चार दिनों में हड़ताल खत्म हो सकती है और ऊर्जा मित्रों को उनका बकाया मिल सकता है. जो भी हो, लेकिन उपभोक्ताओं को जितनी मानसिक परेशानी हुई, इसके लिए आखिर जिम्मेवार कौन है. एक तो बिजली विभाग 24 घंटे बिजली नहीं देता. हर दूसरे या तीसरे घर में लोगों को इनवर्टर रखना पड़ता है. इनवर्टर का खर्च अलग आता है. बिजली बिल का खर्च अलग भुगतान करना होता है. देखना है कि जब पूरा मामला मुख्यालय के संज्ञान में गया है, तो आगे इस पर क्या निर्णय होता है कि भविष्य में फिर ऊर्जा मित्र हड़ताल पर नहीं जाए.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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