धनबाद(DHANBAD): हेमंत सोरेन अपने पिता से भी राजनीति में आगे निकल गए हैं. इस बार झामुमो अपना बेस्ट परफॉर्मेंस किया है. इंडिया ब्लॉक झारखंड में जादुई आंकड़ा से बहुत आगे निकल गया है. इसके साथ ही भाजपा नेताओं के पद पर खतरा भी बढ़ गया है. मंईयां सम्मान योजना झारखंड में अंडर करंट थी. इसको एनडीए ने समझा तो जरूर, लेकिन उनकी गोगो योजना पर लोगों ने भरोसा नहीं किया. नतीजा सामने है. प्रधानमंत्री ने संथाल परगना में यह कहा था कि वह केवल वोट मांगने नहीं आए हैं, बल्कि सरकार के शपथ ग्रहण का आमंत्रण देने भी आए हैं. लेकिन ऐसा नहीं हो सका और एनडीए 2019 से भी खराब प्रदर्शन किया. भाजपा का प्रदर्शन तो खराब रहा ही, आजसू के साथ गठबंधन का भी कोई लाभ एनडीए को नहीं मिला.
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इधर चुनाव में मिली हार के बाद भाजपा के चुनाव सह प्रभारी हिमंता विश्व सरमा ने कहा है कि किसी काम में अगर हम असफल होते हैं, तो वही आने वाले दिन के लिए सफलता की बुनियाद बन जाती है. असम के मुख्यमंत्री ने अपने गृह राज्य असम से सोशल मीडिया में एक वीडियो संदेश जारी कर यह बात कही है. उन्होंने कहा है कि हमने पूरी मेहनत की. कारण जो भी हो लेकिन हम अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाए. इसका मतलब यह नहीं कि हमें अपनी संस्था छोड़ देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में उन्होंने झारखंड के कार्यकर्ताओं और लोगों को नजदीक से देखा है. वह सभी याद आएंगे. सभी याद रखें कि आपका दोस्त असम में है.
संताल और कोयलांचल में पीएम की तीन सभाओं का बीजेपी को नहीं मिला फायदा
प्रधानमंत्री ने भी संथाल और कोयलांचल में तीन सभाएं की. पहली सभा चंदनकियारी में हुई. फिर सारठ और गोड्डा में सभा हुई थी. जिन तीन विधानसभा क्षेत्र में सभा स्थल था. वह तीनों सीट बीजेपी हार गई. चंदन कियारी में तो नेता प्रतिपक्ष अमर कुमारी बाउरी भाजपा के उम्मीदवार थे. वह स्टार प्रचारक भी बनाए गए थे. लेकिन खुद की सीट नहीं बचा पाए. गोड्डा की सभा में भारी भीड़ जुटी थी. इस सभा में प्रधानमंत्री ने कहा था कि सिर्फ वोट मांगने नहीं आए हैं. झारखंड में एनडीए सरकार के शपथ ग्रहण का न्योता भी देने आए हैं.लेकिन लोगों ने भरोसा नहीं किया. भाजपा के स्टार प्रचारक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी मांग अधिक थी. लेकिन इस बार के चुनाव में योगी की सभा का भी बहुत लाभ मिलता नहीं दिखा. अगर धनबाद के निरसा की बात की जाए, तो निरसा में योगी आदित्यनाथ ने भाजपा प्रत्याशी अपर्णा सेन गुप्ता के पक्ष में सभा की थी. राजमहल में अनंत ओझा के लिए वोट मांगे थे .कई अन्य विधानसभा क्षेत्र में भी योगी की सभा हुई .लेकिन भाजपा नहीं जीती. मईया सम्मान योजना ने भाजपा के सभी प्रचारकों की अपील को खारिज कर दिया. भाजपा ने अमर कुमार बाउरी को झारखंड में दलित चेहरा बनाने का प्रयास किया. लेकिन सफलता नहीं मिली. अमर कुमार बाउरी चुनाव हार गए. यह अलग बात है कि भाजपा अब हार के कारणों के लिए बैठक बुलाने की तिथि तय कर ली है. बैठक में मंथन होगा. फिर देखा जाएगा कि आगे अब फिर कैसे काम बढेगा. नए ढंग से भाजपा अब झारखंड में संगठन को कैसे मजबूत करती है? विपक्ष की भूमिका किस ढंग से निभाती है? भाजपा की बागडोर किसके हाथ में होती है? यह तमाम ऐसे सवाल हैं जिन पर मंथन हो सकता है?
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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