टीएनपी डेस्क(TNP DESK): बकरीद या ईद-उल-जुहा इस्लाम धर्म को मानने वालों के लिए बहुत महत्व रखने वाला त्योहार है. बकरीद इस्लामी कैलेण्डर के आखिरी महीने जुल-हिज्ज में मनाई जाती है. इसे कुर्बानी और त्याग का त्योहार भी कहा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि बकरीद के दिन लोग अपनी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी देते है.
आएं जानते है कब और कैसे शुरू हुई कुर्बानी देने की रिवाज
ऐसा कहा जाता है कि इस्लाम में कुर्बानी की शुरुआत हजरत इब्राहिम ने की थी. अब आपके मन में ये सवाल चल रहा होगा कि हजरत इब्राहिम कौन हैं. चलिए हम आपको बताते है कुर्बानी की शुरुआत करने वालें हजरत इब्राहिम कौन हैं और कैसे शुरू हुई कुर्बानी की ये रिवाज. मान्यताओं के हिसाब से इस्लाम के आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद हुए. लेकिन, पैगंबर हजरत मोहम्मद से पहले भी कई पैगंबर आए और इस्लाम का प्रचार-प्रसार किया.आपको बता दें कि इस्लाम में कुल 1 लाख 24 हजार पैगंबर थे. उन्हीं पैगंबरों में से एक थे हजरत इब्राहिम. ऐसा माना जाता है कि हजरत इब्राहिम के दौर में ही कुर्बानी की रिवाज शुरू हुई थी. अभी तक हमने आपको बताया कि कुर्बानी किनके दौर में शुरू हुई. मगर, अब हम आपको बताएंगे कि कुर्बानी क्यों शुरू हुई.
ऐसा माना जाता है कि हजरत इब्राहिम को लंबे वक्त तक कोई बच्चा नहीं हुआ था. हजरत इब्राहिम ने अल्लाह से काफी दुआएं की, जिसके बाद वे 80 साल की उम्र में पिता बने. हजरत इब्राहिम ने अपने बेटे का नाम इस्माइल रखा था. हजरत इब्राहिम अपने बेटे इस्माइल से बहुत प्यार करते थे. ऐसा माना जाता है कि हजरत इब्राहिम एक दिन ख्वाब आया. उस ख्वाब में अल्लाह का हुक्म था कि आप अपनी सबसे प्यारी चीज को कुर्बान कीजिए. इस्लाम के जानकार बतातें है कि अल्लाह का हुक्म था इसलिए हजरत इब्राहिम ने अपने एकलौते बेटे इस्माल की कुर्बानी देने को तैयार हो गए.और फिर बकरीद की परंपरा शुरू हुई.
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