धनबाद(DHANBAD): धनबाद में कितने प्राइवेट गनर हैं, इसका कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. कितने बाउंसर हैं, इसका भी कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. जम्मू कश्मीर और नागालैंड से बने हथियारों के कितने लाइसेंस हैं, इसका भी कोई आंकड़ा नहीं है. लेकिन गुमला पुलिस के खुलासे के बाद यह सवाल उठ रहे हैं कि इसका आकलन या जांच-पड़ताल कौन करेगा. पहले कब इसकी डिटेल्स जांच हुई है. फिलहाल धनबाद अपराध की घटनाओं से कराह रहा है.
धनबाद में प्राइवेट गनर रखने का बढ़ा प्रचलन
फायरिंग गैंग हाल के दिनों में जब से सक्रिय हुआ है, तब से प्राइवेट गनर रखने का प्रचलन भी बढ़ा है. यह बात अलग है कि अपनी सुरक्षा के लिए लोग यह सब करते हैं. प्राइवेट गनर और बॉडीगार्ड रखना दो चार साल पहले तक लोगों का शौक था लेकिन अब लाचारी बन गई है. सुरक्षा के लिए निजी संस्थानों के बाहर ,बैंकों का कैश ढोने वाले वाहनों पर ,कई लोगों के घरों के बाहर प्राइवेट गनर देखे जा सकते हैं. इन प्राइवेट गनर की पुलिसिया जांच होती भी है कि नहीं, यह कहना मुश्किल है. हो सकता है कि प्राइवेट गनर के रूप में बाहर के अपराधी यहां आकर शरण लिए हो, लेकिन इसकी जांच कभी नहीं होती. मुंगेरिया हथियार भी यहां खूब खा पाए जाते हैं. धनबाद कोयलांचल के कई दुकानों से लेकर बैंक, एटीएम या निजी कार्यालयों में गनर तो दिख जाते हैं, इनमें से कुछ किसी न किसी कंपनी के जरिए आते हैं तो कुछ निजी भी होते हैं. नियम के अनुसार इन सब की जांच होनी चाहिए लेकिन जांच होती नहीं है.
लोग का झुकाव क्यों बढ़ रहा प्राइवेट गनर एवं बॉडीगार्ड की ओर
बहुत से लोग 2 से 4 निजी बॉडीगार्ड लेकर घूमते दिख जाएंगे.यह बात भी सही है कि जब यह निजी बॉडीगार्ड सड़क पर चलते हैं तो अपने को किसी से कम नहीं समझते. इन प्राइवेट बॉडीगार्ड के पास पिस्टल से लेकर अन्य अत्याधुनिक हथियार होते हैं. आश्चर्य तो तब होता है कि संबंधित थानों को भी इन प्राइवेट बॉडी गार्डों की जानकारी नहीं होती . चुनाव के समय सभी लाइसेंसी लोगों के हथियार जमा करा लिए जाते हैं लेकिन फर्जी लाइसेंस पर हथियार चमकाने वालों पर कोई पाबंदी नहीं होती. गुमला पुलिस ने फर्जी लाइसेंस बनाने वाले धनबाद के रेशम बहादुर को गिरफ्तार कर इस मामले को लाइमलाइट में ला दिया है. सूत्र बताते हैं कि जो लोग प्राइवेट बॉडीगार्ड रखते हैं, हथियार के लाइसेंस किसी दूसरे के नाम से भी होते हैं लेकिन हथियार उनके पास होता है. यह बात सही है कि हाल के दिनों में अमन सिंह और प्रिंस खान गैंग की सक्रियता के बाद धनबाद के कारोबारी अपने सुरक्षा के प्रति चिंतित हो गए हैं. पुलिस से सबो की सुरक्षा नहीं मिलती. इस वजह से उनका झुकाव प्राइवेट गनर एवं बॉडीगार्ड की ओर हुआ है. लेकिन इसमें भी क्या गड़बड़ी हो रही है, इसकी जांच तो होनी ही चाहिए.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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