रांची (RANCHI): अवैध खनन मामले में लगातार ईडी को नए-नए पेंच मिलते ही जा रहे. शुरुआत से ही पंकज मिश्रा पर ईडी का ‘कसता शिकंजा’ बहुत से धनकुबेरों और रसूकदार लोगों के गले तक पहुंच गया था. सीएम हेमंत सोरेन को भी लगातार ईडी के दबाव का सामना करना पड़ा. वहीं, अब जो एक नई बात निकल कर सामने आ रही वो ये है कि चर्चित बरहरवा टेंडर विवाद जिसमें एक कारोबारी ने पंकज मिश्रा और आलमगीर आलम के खिलाफ मामला दर्ज कराया था, उस मामले में 24 घंटे के अंदर ही पंकज मिश्रा को क्लीन चिट मिल गई थी और ये सब हुआ था बड़हरवा साहेबगंज में. ईडी लगातार जानने की कोशिश में है कि आखिर क्यों साहेबगंज पुलिस पंकज मिश्रा मामले में इतनी जल्दी और त्वरित निर्णय ले लेती है, जबकि ईडी को प्राप्त जानकारी के अनुसार पंकज मिश्रा अवैध खनन मामले में दोषी पाए गए हैं. बता दें ईडी ने 2020 के चर्चित बरहरवा मामले को अपने 'हैन्डओवर' में ले लिया है. जिससे बढ़ सकती है साहेबगंज पुलिस की परेशानी. आईए जानते हैं क्या है बरहरवा मामला क्यों इस बात पर ईडी को है परेशानी. क्या ईडी को मिल चुका है कोई सूत्र और क्या होगी कोई बड़ी कार्रवाई?
ईडी ने भेजा डीएसपी को समन
ईडी का तीर अब साहेबगंज के अफसरों को निशाने पर ले रहा है इसी मामले में ईडी ने कई जानकारी साहेबगंज पुलिस से मांगी है. चर्चित बरहरवा मामला से उजागर हुए इस मनी लांड्रिंग का मामला निर्णायक मोड़ पर आता दिख रहा. बता दें ईडी अब इस मामले की जांच कर रही की बरहरवा मामले में 24 घंटे के भीतर साहेबगंज एसपी और डीएसपी ने कैसे पंकज मिश्रा और आलमगीर आलम को क्लीनचिट दे दिया. बता दें बरहरवा मामले के बाद ही प्रवर्तन निदशालय या ईडी ने झारखंड में हो रहे अवैध खनन और और मनी लांड्रिंग के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
साहिबगंज डीएसपी राजेंद्र दुबे को समन
पंकज मिश्रा को लगातार हर मामले मे तुरंत क्लीनचिट मिलना कहीं न कहीं साहबगंज के अधिकारियों के खिलाफ सवाल खड़े कर रहा. इसी बाबत प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने साहिबगंज के डीएसपी राजेंद्र दुबे को समन भेजा है. उन्हें पूछताछ के लिए आठ दिसंबर को इडी के रांची कार्यालय में दिन के 11 बजे हाजिर होने का निर्देश दिया गया है. बता दें पंकज मिश्रा से फोन पर संपर्क में रहने और उसे बचाने की कोशिश करने के आरोपों के मद्देनजर ईडी ने उन्हें समन भेजा है. जांच के दौरान ईडी को जानकारी मिली कि डीएसपी राजेंद्र पंकज के इशारे पर अवैध खनन के गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे थे. पंकज की जब्त की जानेवाली संपत्ति को बचाने के उद्देश्य से कागजात बनवाने में भी मदद की थी. बता दें अवैध खनन मामले में भी साहेबगंज डीआईजी ने प्रेस कोन्फ़्रेंस कर पंकज मिश्रा को क्लीनचिट दे दिया था.
क्या है बरहरवा मामला
बरहरवा नगर पंचायत द्वारा वर्ष 2020 में टोल टैक्स का एक टेन्डर निकाल गया और इस टेन्डर को मैनेज करने के लिए राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री आलम गीर आलम के मोबाइल से मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा ने टेन्डर में भाग नहीं लेने के लिए व्यवसाई शंभू नंदन को धमकी दी गई. बावजूद इसके जब शंभू नंदन टेन्डर प्रक्रिया में भाग लेने गए तो उनके साथ मारपीट की गई. शंभू नंदन ने बताया कि सरकार में रहने के कारण इन लोगों को फायदा मिला और उन्हें न्याय नहीं मिला इसलिए उन्होंने इसकी शिकायत पीएम और गृहमंत्री से भी की कई मंत्रियों से न्याय की गुहार लगाने के बाद अब इस मामले को ईडी ने अपने हैन्डओवर में ले लिया है. बता दें 12 जून 2020 में टोल प्लाजा टेंडर मामले में कारोबारी शम्भू नंदन कुमार ने पंकज और आलमगीर के खिलाफ धमकाने और मारपीट का मामला दर्ज कराया था. थाने में 12 जून 2020 को पाकुड़ के हरिणडंगा बाजार निवासी शंभूनंदन कुमार के बयान पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी. इसमें तपन सिंह, दिलीप साह, इश्तखार आलम, मुंख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा, मंत्री आलमगीर आलम, तेजस भगत, कुंदन गुप्ता, धनंजय घोष, राजीव रंजन शर्मा, निताई, टिंकू रज्जाक अंसारी व अन्य अज्ञात आरोपित बने थे. इसमें आरोपितों पर मारपीट का आरोप लगा था. छानबीन में पंकज मिश्रा व आलमगीर आलम के विरुद्ध साक्ष्य नहीं मिला, जिन्हें निर्दोष पाते हुए अन्य आठ आरोपितों के विरुद्ध 30 नवंबर 2020 को चार्जशीट दाखिल किया गया था. यह मामला पूरी तरह से टेंडर मैनेज करने को लेकर था.
बरहरवा मामला बना था ईडी का आधार, जानिए कैसे
इसी एफआईआर को आधार मानकर ईडी ने अपनी छानबीन शुरू की थी. शंभू के मोबाइल की रिकॉर्डिंग से ये सामने आया की टेंडर प्रक्रिया में शामिल होने से ठेकेदार शंभू नंदन को रोका गया था़. शंभू की पंकज मिश्रा और मंत्री आलमगीर आलम से बातचीत का ऑडियो वायरल हुआ़ इसके बाद आलम पर टेंडर मैनेज करने का आरोप लगा था़ ऑडियो में शंभू को टेंडर प्रकिया में शामिल नहीं होने को कहा गया था. इसके बाद ही एक सूत्र से सभी सूत्र ईडी के हाथ लगते चले गए और पूरी तरह से मामला साफ होने पर इडी ने मनी लाउंड्रिंग का केस दर्ज किया. सूत्रों के हवाले से सूचना है की शंभू के फोन की फोरेंसिक जांच के बाद ईडी को कई अहम सूचना भी प्राप्त हुए हैं.
सहायक निदेशक के खिलाफ सुनवाई 14 को
इधर पंकज मिश्रा की ओर से इडी के सहायक निदेशक देवव्रत झा के खिलाफ दायर याचिका पर सोमवार को पीएमएलए कोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में कोर्ट ने ईडी को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है़ अगली सुनवाई 14 दिसंबर को होगी. ईडी की ओर से विशेष लोक अभियोजक अतीश कुमार उपस्थित हुए. तीन दिसंबर को पंकज ने ईडी के सहायक निदेशक के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की थी. बता दें याचिका में देवव्रत झा के खिलाफ पंकज मिश्रा ने शिकायत दर्ज करायी है.
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