धनबाद(DHANBAD): झारखंड का डुमरी लगातार पांचवीं बार झारखंड मुक्ति मोर्चा के कब्जे में आया है. इसके साथ ही "एनडीए" और "इंडिया" की प्रतिष्ठा की इस लड़ाई में "इंडिया" ने बाजी मार ली है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रत्याशी और दिवंगत तत्कालीन शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की पत्नी बेबी देवी ने 16000 से अधिक वोटो से जीत दर्ज की है. यह जीत कई मामले में थोड़ी अलग कहीं जाएगी. क्योंकि इस जीत में भाजपा और आजसू साथ था. ओवैसी भी डुमरी में सभा को संबोधित किए थे. बाबूलाल मरांडी के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद झारखण्ड में यह पहला चुनाव हुआ. इस चुनाव के साथ बाबूलाल मरांडी की प्रतिष्ठा भी जुड़ी हुई थी. लेकिन बाजी "इंडिया" गठबंधन के झारखंड मुक्ति मोर्चा ने मार ली है.
लड़ाई महतो और मुस्लिम फैक्टर के बीच रही
डुमरी विधानसभा में महतो और मुस्लिम फैक्टर के बीच लड़ाई थी. आजसू को भरोसा था कि वह झारखंड मुक्ति मोर्चा के परंपरागत महतो समुदाय में सेंधमारी करेगी, दूसरी ओर झारखंड मुक्ति मोर्चा को महतो वोट पर भरोसा था ही, मुस्लिम मतदाताओं को भी अपनी ओर खींचाने की योजना पर काम किया. जो भी हो रामगढ़ में हार के बाद डुमरी में मिली जीत से "इंडिया" गठबंधन निश्चित रूप से उत्साहित होगा. भाजपा और आजसू का गठबंधन भी डुमरी में कुछ विशेष नहीं कर पाया. बेबी देवी 16000 से भी अधिक मतों से चुनाव जीत गई. फिलहाल वह झारखंड सरकार में मंत्री है. 2005 से लेकर 2019 तक उनके पति जगरनाथ महतो डुमरी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और पांचवीं बार हुए चुनाव में उनकी पत्नी ने चुनाव जीतकर यह साबित कर दिया कि डुमरी में झारखंड मुक्ति मोर्चा का बोलबाला था हुए है. आगे भी अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो, रह सकता है.
बाबूलाल मरांडी के लिए डुमरी चुनाव सबक
वैसे बाबूलाल मरांडी के लिए यह चुनाव परिणाम अच्छा नहीं कहा जाएगा. झारखंड के 28 आदिवासी बहुल विधानसभा क्षेत्र और पांच लोकसभा क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए ही बाबूलाल मरांडी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. अब 2024 के चुनाव पर लोगों की नजर रहेगी. वैसे 2019 की बात अगर की जाए तो दिवंगत जगरनाथ महतो को 71,128 वोट मिले थे. जबकि भाजपा के प्रदीप साहू को 36,013 और आजसू की यशोदा देवी को 36,840 वोट मिले थे. यह बात अलग है कि 2019 में जीतने वोट से जगरनाथ महतो चुनाव जीते थे, उससे लगभग आधे मत से उनकी पत्नी चुनाव जीती है. लेकिन यहां एक बात और उल्लेखनीय है कि 2019 में भाजपा और आजसू ने अलग-अलग चुनाव लड़े थे जबकि 2023 की उपचुनाव में भाजपा और आजसू साथ-साथ थे.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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