दुमका(DEOGHAR):लगभग 2 वर्ष पूर्व संथाल परगना ही नहीं झारखंड में एक नाम अचानक सुर्खियों में आया था.वह नाम है गोड्डा कॉलेज के तत्कालीन असिस्टेंट प्रोफेसर रजनी मुर्मू का.रजनी अपनी बेबाक अंदाज के लिए जानी जाती है.वर्ष 2022 में संथाल समुदाय का सबसे बड़ा पर्व सोहराय पर उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक छोटा सा आर्टिकल लिखा.छोटा आर्टिकल इतना बड़ा मुद्दा बन गया कि सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय द्वारा रजनी मुर्मू को फोर्सफूली लीव पर भेज दिया गया.रजनी को जब लगा कि उसके साथ विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से न्याय नहीं किया गया तो न्याय की आस में उसने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.मामला आज भी विचाराधीन है,लेकिन इस बीच जीवन यापन के लिए रजनी मुर्मू मधुपुर स्थित अपने घर पर रहकर सत्तू का होलसेल व्यवसाय कर रही है.
पढ़ें रजनी मुर्मू ने ऐसा क्या लिखा जिसको लेकर हंगामा मच गया
सबसे पहले हम आपको बताते है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रजनी मुर्मू ने ऐसा क्या लिखा जिसको लेकर हंगामा मच गया.दरअसल सोहराय पर्व संथाल समुदाय का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है.जनवरी के दूसरे सप्ताह में 5 दिनों तक यह पर्व मनाया जाता है.सोहराय के समय संथाल परगना प्रमंडल के गली मोहल्ले से लेकर सुदूरवर्ती गांव में परंपरागत परिधान में महिला पुरुष नृत्य करते नजर आ जाएंगे.वर्षो से दुमका के एसपी कॉलेज मैदान में सोहराय मनाया जाता है.वर्ष 2022 के सोहराय के समय रजनी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा कि एसपी कॉलेज मैदान में सोहराय के दौरान लड़कियों को असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है.अपने छात्र जीवन का हवाला देते हुए बेबाकी से रजनी जो कुछ लिखी उसपर वो आज भी कायम है,लेकिन रजनी के इतना लिखने से हंगामा बरप गया.विरोध प्रदर्शन के साथ साथ रजनी को असिस्टेंट प्रोफेसर से बर्खास्त करने की मांग उठी.विरोध बढ़ता देख विश्वविद्यालय प्रसासन ने रजनी को फोर्स फूली लीव पर भेज दिया.उसके बाद न्याय की आस में रजनी ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.
रजनी का कहना है कि वो जीवन में कभी समझौता नहीं की
संथाल समाज से आने वाली रजनी कठिन परिस्थिति में उच्च शिक्षा की तालीम ली. बचपन से ही तमन्ना थी अपने पैरों पर खड़ी होकर अपनी एक अलग मुकाम बनाने की.उच्च शिक्षा हासिल कर सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के अधीन गोड्डा कॉलेज में घंटी आधारित असिस्टेंट प्रोफेसर बन कर छात्रों का भविष्य संवार रही थी। लेकिन उसे लगा कि प्रोफेसर बनकर भी समाज मे अलग पहचान नहीं बन रहा है.यह वह दौर था जब हर हाथ एंड्राइड मोबाइल फोन आया और अभिव्यक्ति की आजादी के लिए सोशल मीडिया जैसा प्लेटफार्म मिला.रजनी भी सोशल मीडिया पर खुलकर अपनी बातें रखने लगी.सराहना और आलोचना का दौर चलता रहा.इस बाबत पूछने पर रजनी का कहना है कि वो जीवन में कभी समझौता नहीं की.एसपी कॉलेज में आयोजित सोहराय पर दिए गए बयान पर आज भी कायम है. तब भी तो दबाब के बाबजूद ना तो पोस्ट को डिलीट किया गया और ना ही मांफी मांगी.रजनी का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन का रवैया सही नहीं रहा, क्योंकि यह कोई विभागीय मामला नहीं था.
रजनी ने जमा पूंजी से सत्तू का होलसेल व्यवसाय शुरू किया
सत्तू का व्यवसाय शुरू करने के पीछे रजनी का कहना है कि लंबी छुट्टी पर भेजे जाने के बाद जीविकोपार्जन के लिए कुछ तो करना था, लोगों से सलाह लिया,जमा पूंजी से सत्तू का होलसेल व्यवसाय शुरू किया.रसोई सत्तू और मधु स्वस्तिक सत्तू के नाम से उत्पाद को बाजार में उतारा. आज यह उत्पाद देवघर के साथ साथ बिहार के जमुई और पश्चिम बंगाल के कुछ जिलों तक जा रहा है.रजनी अपने इस व्यवसाय में ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को जोड़ कर रखी है. और आत्मनिर्भर होने के साथ साथ समाज की महिलाओं को आत्मनिर्भरता की राह पर लेकर जा रही है.
बचपन से अमीर बनने का सपना देखनेवाली रजनी किसी कार्य को छोटा नहीं समझती
सोशल मीडिया पर हमेशा एक्टिव रहनेवाली रजनी मुर्मू के बारे में कहा जाता है कि उसे राजनीति में आना है.इस सवाल के जबाब में रजनी का कहना है कि फिलहाल कोई इरादा नहीं लेकिन भविष्य में संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.पसंदीदा राजनीतिक दल पर कहती है कि जो पार्टी महिलाओं को हक और सम्मान दें,राजनीति ही नहीं हर क्षेत्र में महिलाओं को आगे आना चाहिए. चुनाव लड़ने के लिए पैसा के साथ साथ पहचान होनी चाहिए.बचपन से अमीर बनने का सपना देखनेवाली रजनी किसी कार्य को छोटा नहीं समझती,तभी तो छात्रों के बीच शिक्षा का अलख जगाना हो या फिर सत्तू के व्यवसाय का बेताज बादशाह बनना हो, हर कार्य को तल्लीनता से कर रही है.
रिपोर्ट-पंचम झा
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