दुमका(DUMKA): कुलपति यानी वाईस चांसलर किसी भी विश्वविद्यालय के सर्वोच्च पदाधिकारी होते है. जिनकी देख रेख में उच्च शिक्षा के सैकड़ों संस्थान संचालित होता है. उन संस्थानों में पढ़ कर लाखों लाख छात्र अपना भविष्य संवारते हैं. लेकिन जब कोई कुलपति अपने ही विश्वविद्यालय द्वारा संचालित संस्थान में छात्र की भूमिका में नजर आए तो ताज्जुब की बात तो होगी ही.
हम बात कर रहे है दुमका के सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. (डॉ) सोना झरिया मिंज की, जो इन दिनों वीसी के पद पर रहते हुए स्टूडेंट की भूमिका में नजर आ रही है. दर असल पिछले सप्ताह एसकेएमयू के संताल अकादमी द्वारा संताली स्पोकन कोर्स का उद्घाटन हुआ था. वीसी प्रो. (डॉ) सोना झरिया मिंज और डीसी रविशंकर शुक्ला ने संयुक्त रूप से इसका उद्घाटन किया था. उस वक्त मंच से संताली स्पोकन कोर्स के फायदे गिनाए गए थे. गुरुवार से सेशन की शुरुवात हुई. इसमे एसकेएमयू की वीसी भी अपना नामांकन कराया है. संताली बोलने की कला सीखने की ललक ने वीसी को एक छात्रा बना दिया. निर्धारित समय पर वह संताल अकादमी बिल्डिंग पहुच कर स्टूडेंट की भांति वर्ग कक्ष में बेंच डेस्क पर बैठती हैं. शिक्षक द्वारा बताए जा रहे टॉपिक को बड़े ही ध्यान से सुनती हैं और जहां दुविधा उत्पन्न होती है वहाँ शिक्षक से सवाल भी पूछती है, लेकिन सवाल वीसी की हैसियत से नहीं बल्कि एक स्टूडेंट की हैसियत से पूछती है. संताल अकादमी से बाहर निकलते ही वो वीसी की भूमिका में आ जाती है.
ना सुरक्षाकर्मी ना गाड़ी, करती है साईकल की सवारी
कहा जाता है छात्र जीवन सबसे बेहतर होता है. कई तरह की कठिनाइयों का सामना करने के बाद एक छात्र को सफलता मिलती है. सफलता के चरमोत्कर्ष पर पहुचने के बाबजूद लोग छात्र जीवन को बहुत मिस करते है. बरबस लोगों के मुख से निकल ही जाता है कि काश! एक बार फिर से छात्र जीवन जीने का मौका मिलता. एसकेएमयू की वीसी प्रो.(डॉ) सोना झरिया मिंज एक बार फिर से छात्र जीवन को एन्जॉय कर रही है. सरकारी सुविधा का त्याग कर साईकल से कक्षा करने आती है. सुरक्षाकर्मियों को साथ लेकर चलने वाली वीसी जब छात्र की भूमिका में आती है तो सुरक्षाकर्मी को अपने साथ नहीं रखती. एक ऐसे रूप में वीसी को देख कर चौक चौराहे से लेकर विश्वविद्यालय परिसर तक में हर जुवां पर चर्चा हो रही है. वीसी की सादगी के कायल लोग हो रहे है।
90 घंटे में सिखाया जाता है संताली बोलना
एसकेएमयू द्वारा संचालित संताल अकादमी में संताली स्पोकन कोर्स की शुरुवात की गई है. कुल 90 घंटा का कोर्स है और पाठ्यक्रम बहुत ही सहज और सरल बनाया गया है. कोर्स में दाखिला लेने वाले छात्र-छात्राएं बहुत ही सरलता से संताली सीख सकते हैं और बोल सकते हैं. आम बोलचाल एवं सभी जगह उपयोग में आने वाले शब्द एवं भाषा का समावेश इस सिलेबस में शामिल हैं.
वीसी भी मानती हैं कि यह कोर्स संताल परगाना और झारखंड के लिए मील का पत्थर साबित होगा. यहां डिग्री की पढ़ाई तो होती ही है इसके साथ ही संताल अकादमी के द्वारा इसकी पहल करना यहां के संताली भाषा प्रेमियों के लिए हर्ष का विषय है. यह संताल बहुल इलाका है. यहां कई पदाधिकारी ऐसे हैं जो संताली में संवाद नहीं कर सकते हैं उनके लिए यह सबसे अच्छा अवसर है कि संताली भाषा कोर्स में दाखिला प्राप्त करके संताली भाषा सीखे और यहां के लोगों के साथ संताली भाषा में संवाद स्थापित करें. विश्वविद्यालय के पदाधिकारी और शिक्षक भी इस कोर्स का लाभ उठा सकते हैं. कोर्स के शुरु होने से संताली भाषा के साथ - साथ साहित्य और संस्कृति का भी विकास होगा. इसलिए इस कोर्स का निरंतर और सुचारु रूप से चलाना जरूरी है.
समय की मांग है संताली स्पोकन कोर्स
भारत की राज भाषा हिंदी है इसके बाबजूद इंग्लिश के बढ़ते क्रेज़ के कारण आज हर गली मुहल्ला में इंग्लिश स्पोकन कोर्स के संस्थान खुल गए. संताल परगना प्रमंडल की क्षेत्रीय भाषा संताली है. प्रदेश ही नहीं देश के विभिन्न प्रान्तों के लोग सरकारी सेवक के रूप में अपनी सेवा संताल परगना प्रमंडल में देते है. वैसे अधिकारियों और सरकारी सेवकों के समक्ष सबसे गंभीर समस्या स्थानीय लोगों से संवाद स्थापित करने में होता है. सरकार का भी फ़ोकस क्षेत्रीय भाषा पर है. ऐसी स्थिति में संताली स्पोकन कोर्स सरकारी सेवकों के लिए बरदान साबित होगा.
रिपोर्ट: पंचम झा
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