दुमका(DUMKA): मकर संक्रांति के मौके स्नान का विशेष महत्व है. लोग पवित्र नदी या फिर जलाशय में आस्था की डुबकी लगाते है. दुमका जिला के जामा प्रखंड के तातलोई में है गर्म जल का कुंड. प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति के मौके पर हजारों लोग यहां पहुंच कर गर्म जलकुंड में आस्था की डुबकी लगाते हैं. यह स्थल आस्था का संगम माना जाता है. एक तरफ जहां दुमका ही नहीं सीमावर्ती बिहार और पश्चिम बंगाल से भी लोग यहां मकर संक्रांति पर गर्म जल कुंड में स्नान करने आते हैं. ऐसे लोगों का मानना है कि मकर संक्रांति पर डुबकी लगाने से एक तरफ जहां धार्मिक मान्यताओं की पूर्ति होती है, वहीं कहा जाता है कि गर्म जलकुंड में नहाने से चर्म रोग से भी मुक्ति मिलती है.
प्रत्येक वर्ष मकर सक्रांति के अवसर पर यहां बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से साफाहोड़ सनातन धर्मावलंबी आदिवासी समुदाय के लोग भी काफी संख्या में यहां पहुंच कर गर्म जल कुण्ड में स्नान करते हैं. सफाहोड़ समुदाय के लोग यहां अपना वार्षिक पूजन करते हैं. इस समुदाय के लोग सादा वस्त्र पहनते हैं और अपने आप को मांस मदिरा से दूर रखते हैं.
संताल समाज के लोग भी गर्म जल कुंड में लगाते हैं डुबकी
मान्यता के अनुसार, स्थानीय संताल समाज के लोग भी यहां आकर गर्म जल कुंड में डुबकी लगाते हैं और परम्परा के अनुसार अस्त्र पूजन करते हैं. पूजन समाप्त कर यहीं से शिकार खेलने की शुरुआत करते हैं. इस स्थान के बारे में बताया जाता हैं कि यहां प्राकृतिक गर्म जल का कुण्ड हैं जिसमें स्नान करने के बाद चर्मरोग की कठिन बीमारी ठीक हो जाती है. इसी मान्यता को लेकर लोग यहां आकर स्नान करते हैं.
बताते चले कि मकर संक्रांति के अवसर पर यहां तीन दिन का मेला भी लगता है. जिले का यह प्रमुख पर्यटक स्थल है, इसके बावजूद जो सुविधाएं यहां होनी चाहिए, उसकी कमी है. जरूरत है इस स्थल को सुविधा सम्पन्न बनाने की ताकि यहां आने वाले लोग दुमका की एक बेहतर छवि सहेजकर अपने साथ ले जा सके.
रिपोर्ट: पंचम झा, दुमका
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