दुमका:कोयला रैक पॉइंट के विरोध में लगाये गये चुड़का को प्रशासन ने हटाया, भड़के ग्रामीण, हथियार के साथ किया प्रदर्शन


दुमका(DUMKA):झारखंड में खनिज संपदा की प्रचुरता है.उपराजधानी दुमका जिला के शिकारीपाड़ा, गोपीकांदर, काठीकुंड ऐसे प्रखंड हैं, जहां जमीन के अंदर कोयला का अकूत भंडार है. शिकारीपाड़ा में कोल ब्लॉक खोलवाने के लिए लंबे समय से प्रशासनिक पहल चल रही है, लेकिन सफलता नहीं मिली है. वजह है जल, जंगल और जमीन के लिए संघर्ष करनेवाले आदिवासी समुदाय के लोग जमीन देना नहीं चाहते. इस सबके बीच शिकारीपाड़ा के हरिनसिंघा पकदहा स्टेशन पर कोयला रैक पॉइन्ट स्थापित करने की पहल शुरू हूई.
बीजीआर नाम की कंपनी को कोयला रैक पॉइंट बनाना है
वहीं बीजीआर नाम की कंपनी को कोयला रैक पॉइंट बनाना है, ताकि पाकुड़ से सड़क मार्ग से कोयला रैक पॉइंट तक पहुंचाया जा सके, जहां से गुड्स ट्रैन से कोयला अन्यत्र भेजा जा सके. स्थानीय ग्रामीण शिकारीपाड़ा में कोल ब्लॉक के साथ साथ कोयला रैक पॉइंट का भी विरोध कर रहे है.एक सप्ताह पूर्व स्थानीय लोगों ने स्टेशन जानेवाले मार्ग पर अवरोधक लगाकर चुड़का गाड़ दिया था. संथाल समाज मे विरोध का तरीका होता है चुड़का गाड़ना, लेकिन इस अवरोधक और चुड़का को प्रसासन द्वारा 4 दिन पहले हटा दिया गया. अब ग्रामीण कोल ब्लॉक और कोयला रैक पॉइंट के साथ साथ चुड़का हटाने का भी विरोध करने लगे है.
हटिया परिसर में दर्जनों गांव के ग्रामीण परम्परागत हथियार के साथ एकजुट हुए
इसी कड़ी में शनिवार को जिले के शिकारीपाड़ा के हुलसडंगाल हटिया परिसर में दर्जनों गांव के ग्रामीण परम्परागत हथियार के साथ एकजुट हुए.उन्होंने शिकारीपाड़ा प्रखंड में कोल ब्लॉक खोलने, हरिनसिंघा - पागदाहा स्टेशन पर कोयला रैक पॉइन्ट स्थापित होने के साथ साथ प्रशासन द्वारा चुड़का हटाने के विरोध में प्रदर्शन किया.ग्रामीणों का कहना है कि जल, जंगल, जमीन हमारा है. हम किसी भी हालत में इस क्षेत्र में कोल ब्लॉक खुलने नहीं देंगे. इसके साथ ही हरिनसिंघा - पागदाहा स्टेशन पर कोयला रैक पॉइंट खोलने की कवायद चल रही है, उसे भी चालू नहीं होने देंगे
बैरियर और चूड़का हटाने पर गुस्साये ग्रामीण
ग्रामीणों का आक्रोश इस बात को लेकर था कि कोल ब्लॉक और कच्ची रास्ता में उनके द्वारा जो बैरियर और चूड़का लगाए गए थे, शिकारीपाड़ा अंचल के सीओ के द्वारा बिना ग्राम प्रधान को बिना बताएं पुलिस की मदद से हटा दिया गया. ग्रामीणों की मांग है कि इसके लिए संबंधित अधिकारी को सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने होगी, यह हमारा परंपरागत अधिकार है. किसी भी काम को रोकने के लिए चूड़का लगाया जाता है. इसे प्रशासन ने बलपूर्वक क्यों हटाया?इधर ग्रामीणों ने प्रशासन के साथ - साथ स्थानीय जन प्रतिनिधियो के विरोध में जमकर नारेबाजी की.ग्रामीणों का कहना है कि जो भी व्यक्ति कोल कंपनी की दलाली कर रहा है वह होश में आए.
2 वर्ष पूर्व दुमका रेलवे स्टेशन परिसर से कोयला रैक पॉइंट की शुरुआत की गई
आपको बताये कि 2 वर्ष पूर्व दुमका रेलवे स्टेशन परिसर से कोयला रैक पॉइंट की शुरुआत की गई, जिसके विरोध में आज भी रसिकपुर और आस पास के ग्रामीण आंदोलनरत हैं. कार्यकारी एजेंसी इसका एक्सटेंशन कुरुवा में करना चाहती है, जहां स्थानीय लोगों द्वारा विरोध किया जा रहा है. इस स्थिति में शिकारीपाड़ा में कोयला रैक पॉइंट का निर्माण प्रशासन और कार्यकारी एजेंसी के लिए एक गंभीर चुनौती है.
रिपोर्ट-पंजम झा
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