धनबाद सोमवार को उड़ाएगा पतंग ,खायेगा चार लाख लीटर दूध की दही


धनबाद(DHANBAD) | नए साल का पहला त्यौहार मकर संक्रांति ही होता है. यह त्यौहार सब जगह पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है. दही ,चूड़ा, तिलकुट खाने की तो परंपरा है ही, इस दिन पतंग उड़ाने की भी प्रथा है. देश के कई शहरों में इसे पतंग पर्व भी कहा जाता है. इस त्यौहार पर लोग अपने सगे -संबंधियों के साथ पतंग उड़ाते है. पतंग उड़ाने को धार्मिक मान्यता भी माना जाता है. कहा तो यह जाता है कि यह परंपरा भगवान श्रीराम के द्वारा शुरू की गई थी. पतंग उड़ाने के पीछे सेहत भी वजह बताई जाती है. दरअसल मकर संक्रांति का त्योहार कड़ाके की ठंड के बीच आता है. इस समय ठंड रहती है. ऐसे में धूप में पतंग उड़ाने से शरीर को विटामिन डी मिलता है.
धनबाद की सडको पर सज गई है पतंग की दुकाने
धनबाद के बाजारों में भी पतंग की दुकानें सज गई है. रोड के किनारे पतंग बेचने वालों की लाइन लगी हुई है. बाजार में पतंग, लटाई व धागा खूब बिक रहे है. चाइनीस धागा भी बिक रहा है. इधर पर्व को लेकर दूध की भी खूब डिमांड है. इस त्यौहार में सभी डेयरी कंपनियों को मिलाकर 4 से 5 लाख लीटर दूध बिकने का अनुमान ही. 50 क्विंटल से अधिक दही भी बिकेगी. हर कंपनी की अलग-अलग बुकिंग है. तिलकुट का भी खूब डिमांड है. खोवा तिलकुट₹400 या उससे अधिक दर पर बिक रहा है. जबकि चीनी का तिलकुट ढाई सौ से 300 के बीच चल रहा है. 15 जनवरी को यह त्यौहार मानेगा. इस बार बाजार में चीनी के तिलकुट से गुड का तिलकुट अधिक महंगा बिक रहा है. वैसे तो बिहार के गया का तिलकुट विश्व प्रसिद्ध है. बहुत पहले गया से तिलकुट की खेप धनबाद आती थी. लेकिन अब वह परंपरा नहीं के बराबर रह गई है.
अब तिलकुट नहीं कारीगर आते है गया से
यह अलग बात है कि तिलकुट कूटने के लिए गया से कारीगर धनबाद आते जरूर है. इस साल भी बिहार के गया और झारखंड के गिरिडीह, जमुआ, हजारीबाग से कारीगर और व्यापारी अपनी टीम के साथ पहुंचे है. मकर संक्रांति में लोग दही- चुड़ा के साथ तिलकुट का आनंद लेंगे, स्नान ध्यान करेंगे, पूजा दान करेंगे. सूर्य का मकर राशि में प्रवेश यानी मकर संक्रांति दान, पुण्य की पावन तिथि है. इसे देवताओं का दिन भी कहा जाता है. इसी दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं. शास्त्रों में उत्तरायण के समय को देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात कहा गया है. ये पर्व फसल और सूर्य-शनि से जुड़ा है. मकर संक्रांति के दिन तिल संबंधी कुछ काम करके सोए हुए भाग्य को जगाने की बात कही जाती है. इसे तिल संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है. मकर संक्रांति को उत्तरायण भी कहते हैं, क्योंकि इसके बाद से सूर्य उत्तर दिशा में गमन करते हैं.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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