धनबाद(DHANBAD): धनबाद में चेंबर का चुनाव किसी दूसरे चुनाव से थोड़ा भी कम जोड़तोड़ वाला नहीं होता है. यह अलग बात है कि यह कारोबारी का संगठन है और कारोबारी ही अपना प्रतिनिधि चुनते है. इस चुनाव को लेकर जबरदस्त ढंग से प्रचार भी होता है. लॉबिंग की जाती है और रिजल्ट आने के बाद खुशियां भी मनाई जाती है. धनबाद में यह संगठन काफी बड़ा संगठन है. फेडरेशन ऑफ़ धनबाद जिला चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के चुनाव के लिए प्रक्रिया शुरू हो गई है. नामांकन पर्चा मिलने लगा है. इस बार का चुनाव अधिक रोचक होने की उम्मीद है. अब तक के संकेत के हिसाब से पुराने प्रतिद्वंद्वी आपस में टकरा सकते है. फेडरेशन ऑफ धनबाद जिला चैंबर आफ कमर्स एंड इंडस्ट्रीज से लगभग 58 चेंबर की रिकॉग्निशन है.
लगभग ढाई सौ वोटर अपने प्रतिनिधियों का करेंगे चुनाव
चुनाव के नियम के हिसाब से लगभग ढाई सौ वोटर अपने प्रतिनिधियों का विभिन्न पदों पर चयन करेंगे. इस संगठन के चुनाव में राजनीतिक दलों की भी रुचि होती है. संगठन के ऊपर जिम्मेवारी भी बड़ी है. देखना होगा कि इस बार अध्यक्ष का ताज किसके सिर पर सजता है. चेतन प्रकाश गोयनका निवर्तमान फेडरेशन के अध्यक्ष है.इसके गठन की कहानी भी कम चौंकाने वाली नहीं है. धनबाद के कारोबारी 40-45 साल पहले एकजुट नहीं थे. परिस्थितियों ने उन्हें एकजुट कर दिया. उस वक्त बैंकमोड़ ही धनबाद का बड़ा बाजार हुआ करता था. बदमाशों की करतूत से कारोबरी परेशान रहते थे. कपडे की एक दुकान में ऐसी घटना हुई कि कारोबारी एक प्लेटफॉर्म पर आ गए.
80 के दशक में हुई घटना ने कारोबारियों को एक किया
उसके बाद बैंक मोड़ चेंबर ऑफ कॉमर्स का गठन हुआ. गठन में भी एक ऐसे "आजादशत्रु" की भूमिका रही ,जिसका कारोबार से दूर -दूर तक का रिश्ता नहीं था. फिर फेडरेशन ऑफ धनबाद जिला चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज बना. दरअसल 80 के दशक में बैंक मोड़ के कपड़े की दुकान में रंगदारी की घटना हुई थी. कहा तो यह जाता है कि बिहार के उस समय के एक मंत्री के आदमी सर्किट हाउस से निकलकर दुकान पहुंचे थे. कुछ कपड़े की खरीदारी की थी, लेकिन पैसे को लेकर विवाद हुआ और मारपीट की घटना हो गई. यह सब घटना भुवनेश्वर प्रसाद सिंह उर्फ मास्टर साहब के सामने हुई. इस घटना ने मास्टर साहब को विचलित कर दिया. पेशे से टीचर होने के बावजूद वह दुकानदारों को एकजुट करने का बीड़ा उठाया और इसमें सफल भी रहे. जब तक वह जीवित रहे, आजीवन अध्यक्ष रहे. लेकिन उनके निधन के बाद परिस्थितियों में बदलाव आया. गुटबाजी शुरू हुई, वोटिंग से चुनाव होने लगे.
फिलहाल फेडरेशन में 58 चैंबर सदस्य है
फिलहाल तो फेडरेशन ऑफ धनबाद जिला चैंबर आफ कमर्स एंड इंडस्ट्रीज में 58 चैंबर सदस्य है. मास्टर साहब सरकारी शिक्षक थे, लेकिन बैंक मोड की घटना ने उन्हें व्यवसाईयों के बीच आने का न्योता दिया. व्यवसायी भी उनकी बातों पर सहमत हुए. यह बात अलग है कि भुवनेश्वर प्रसाद सिंह की बातों को काटने का साहस कोई भी कारोबारी नहीं करता था. उनका व्यवहार भी कुछ ऐसा ही था. दूध का दूध और पानी का पानी करने में विलंब नहीं करते थे. उनके निधन के बाद चेंबर के कार्यवाहक अध्यक्ष बनाए गए. उसके बाद पहली बार हुए चुनाव में फेडरेशन के अध्यक्ष मोती लाल अग्रवाल चुने गए. यह बात भी सच है कि फिलहाल फेडरेशन ऑफ धनबाद जिला चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के सदस्यों की हालत "कानी गाय की अलग बथान" जैसी हो गई है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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