धनबाद(DHANBAD): धनबाद जिला चेंबर के चुनाव की जंग की शुरुआत हो गई है. जो बड़े चुनाव में होते है, वह सब शुरू है. वोटरों को अपने पक्ष में करने की कोशिश की जा रही है. इस बार लड़ाई प्रतिष्ठा की है, क्योंकि अध्यक्ष पद के लिए सीधी टक्कर है. चेतन गोयनका और राजीव शर्मा अध्यक्ष पद के लिए आमने-सामने टकरा रहे है. एक गुट में अध्यक्ष पद के लिए चेतन गोयनका है तो महासचिव के लिए अजय नारायण लाल है. कोषाध्यक्ष पद के लिए श्याम गुप्ता के नाम शामिल है. जबकि प्रतिद्वंदी गुट में राजीव शर्मा अध्यक्ष, राजेश गुप्ता महासचिव एवं संजीव अग्रवाल कोषाध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किया है. कोषाध्यक्ष पद के लिए एक और उम्मीदवार ने नामांकन दाखिल किया है. उनका नाम प्रेम गांगेसरिया बताया गया है. इस प्रकार देखा जाए तो अध्यक्ष व महासचिव पद पर सीधा मुकाबला होगा, जबकि कोषाध्यक्ष के लिए त्रिकोणीय मुकाबला हो सकता है.
22 अगस्त को होगा चुनाव और उसी दिन आएगा रिजल्ट
12 अगस्त को स्कूटनी होगी, 13 अगस्त को नाम वापस लिए जा सकते है. 17 अगस्त को वोटर लिस्ट फाइनल होगा और 22 अगस्त को चुनाव कराए जाएंगे. 22 अगस्त को लुबी सर्कुलर रोड स्थित विवाह भवन में सुबह 10:30 बजे से अपराह्न 3 बजे तक वोट डाले जाएंगे. कुल 208 वोटर अध्यक्ष, महासचिव एवं कोषाध्यक्ष के उम्मीदवारों पर फैसला करेंगे. उसी दिन परिणाम भी घोषित हो जाएगा. वैसे भी धनबाद जिला चेंबर का चुनाव किसी भी चुनाव से कम नहीं होता है. धनबाद जिला चैंबर से कुल 52 चैंबर संबद्धता प्राप्त है. स्वाभाविक है अध्यक्ष जो होता है, उ सकी जिम्मेवारी बड़ी होती है ,तो प्रतिष्ठा भी कम नहीं होती है. चुनाव को लेकर गुटबाजी पहले भी होती थी, आज भी हो रही है. चेतन गोयनका निवर्तमान धनबाद जिला चेंबर के अध्यक्ष है. कहा जा रहा है कि धनबाद के राजनीतिक दल के नेता भी इसमें दिलचस्पी ले रहे है. चेम्बर एक बड़ा वोट बैंक भी है.
पिछले चुनाव में भी कांटे का मुकाबला हुआ था
पिछले चुनाव में भी कांटे का मुकाबला हुआ था और चेतन गोयनका जीत दर्ज की थी. इस बार भी मुकाबला कड़ा होने की पूरी संभावना है. चुनाव पदाधिकारी सजग और चौकन्ने है. उनका कहना है कि निष्पक्ष चुनाव कराना ही उनका एकमात्र मकसद है और इसके लिए सभी प्रयास किए जा रहे है. वैसे ,कारोबारी जो किसी गुट में नहीं है, उनका कहना है कि एक बहुत ही पावन उद्देश्य से चेंबर का गठन हुआ था. इसकी पवित्रता बनाए रखने की जरूरत है. चुनाव में कोई हारेगा, कोई जीतेगा लेकिन चुनाव की पवित्रता बनी रहनी चाहिए. वैसे भी, धनबाद चेंबर के गठन का एक अजीब इतिहास है. गठन के अगुवा ऐसे व्यक्ति थे, जिनका कारोबार से कोई लेना-देना नहीं था. लेकिन एक घटना ने उन्हें ऐसा विचलित कर दिया कि वह कारोबारियों के नेता बन गए. पेशे से वह टीचर थे. बता दे कि धनबाद के कारोबारी 40-45 साल पहले एकजुट नहीं थे. परिस्थितियों ने उन्हें एकजुट कर दिया. उस वक्त बैंकमोड़ ही धनबाद का बड़ा बाजार हुआ करता था. बदमाशों की करतूत से कारोबरी परेशान रहते थे. कपडे की एक दुकान में ऐसी घटना हुई कि कारोबारी एक प्लेटफॉर्म पर आ गए.
चेंबर के गठन के अगुआ थे एक "आजादशत्रु"
उसके बाद बैंक मोड़ चेंबर ऑफ कॉमर्स का गठन हुआ. गठन में भी एक ऐसे "आजादशत्रु" की भूमिका रही ,जिसका कारोबार से दूर -दूर तक का रिश्ता नहीं था. फिर फेडरेशन ऑफ धनबाद जिला चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज बना. दरअसल 80 के दशक में बैंक मोड़ के कपड़े की दुकान में रंगदारी की घटना हुई थी. कहा तो यह जाता है कि बिहार के उस समय के एक मंत्री के आदमी सर्किट हाउस से निकलकर दुकान पहुंचे थे. कुछ कपड़े की खरीदारी की थी, लेकिन पैसे को लेकर विवाद हुआ और मारपीट की घटना हो गई. यह सब घटना भुवनेश्वर प्रसाद सिंह उर्फ मास्टर साहब के सामने हुई. इस घटना ने मास्टर साहब को विचलित कर दिया. पेशे से टीचर होने के बावजूद वह दुकानदारों को एकजुट करने का बीड़ा उठाया और इसमें सफल भी रहे. जब तक वह जीवित रहे, आजीवन अध्यक्ष रहे. लेकिन उनके निधन के बाद परिस्थितियों में बदलाव आया. गुटबाजी शुरू हुई, वोटिंग से चुनाव होने लगे.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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