दिल्ली चुनाव परिणाम : पढ़िए-बिहार, यूपी के लोगों का क्यों मोह भंग हो गया था अरविंद केजरीवाल से !
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धनबाद(DHANBAD) : 27 साल बाद दिल्ली पर बीजेपी के कब्जे से बिहार के भाजपा नेताओं में खुशी की लहर है. उन्हें लगने लगा है कि जिस तरह बिहार और यूपी के लोगों ने दिल्ली में अरविंद केजरीवाल को हराकर भाजपा को चुना है. इस तरह का कुछ लाभ बिहार के चुनाव में भी भाजपा को मिल सकता है. वैसे दिल्ली में सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभाने वाले बिहार, यूपी के मतदाताओं ने इस बार रुख बदल लिया था. कहा जाता है कि इन्हीं मतदाताओं ने इस बार भाजपा को सत्ता तक पहुंचाया है. दिल्ली में बिहार, यूपी मतदाताओं वाली 27 विधानसभा सीटों में से 19 पर भाजपा को जीत मिली है. जबकि आम आदमी पार्टी को इस बार केवल 8 सीटों पर संतोष करना पड़ा है. बताया जाता है कि दिल्ली की इन 27 सीटों पर बिहार, यूपी के लोगों की संख्या 20 से लेकर 38% तक है. अभी तक आम आदमी पार्टी ने इस वोट बैंक को मजबूती से पकड़ रखा था. 2020 के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने बिहार, यूपी के मतदाता वाली इन 27 सीटों में से 22 सीटों पर जीत हासिल की थी. जबकि केवल पांच सीट ही भाजपा के पास गई थी.
भाजपा संगठन ने ग्रास रूट पर काम कर लिया भरोसे में
चुनाव के पहले से ही भाजपा संगठन ने इन इलाकों में काम करना शुरू किया था. जिसका परिणाम सामने है. नतीजा हुआ कि आम आदमी पार्टी से यह वोट बैंक खिसक गया और कई विधायकों समेत पार्टी के 19 उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा. कहा तो यह भी जाता है कि दिल्ली के विधानसभा चुनाव में भले ही आम आदमी पार्टी को हार मिली हो, लेकिन अल्पसंख्यक बहुल विधानसभा सीटों में अभी भी आम आदमी पार्टी का भरोसा बरकरार है. दिल्ली की 10 अल्पसंख्यक बहुल विधानसभा सीटों में से 9 पर आम आदमी पार्टी को जीत मिली है. शनिवार को घोषित चुनाव परिणाम में तमाम स्थानों पर आम आदमी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है, लेकिन अगर अल्पसंख्यक इलाकों पर नजर दौड़ाई जाए, तो आम आदमी पार्टी पर लोगों का भरोसा अभी भी बना हुआ दिख रहा है. हालांकि कांग्रेस और अन्य पार्टियों की ओर से मुस्लिम बहुत सीटों पर इस तरह से उम्मीदवार खड़े किए गए थे, जिससे आम आदमी पार्टी की घेराबंदी की जा सके. लेकिन परिणाम ऐसा दिखा नहीं.
दिल्ली चुनाव परिणाम पर क्या कहा-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने
इधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत को ऐतिहासिक बताया है. साथ ही कहा है कि राजधानी एक दशक बात आम आदमी पार्टी से मुक्त हुई है. अब भ्रष्टाचार के हर कार्य की जांच होगी. जिन्होंने लूटा है, उन्हें लौटना भी पड़ेगा. यह मोदी की गारंटी है. हालांकि भाजपा के लिए चुनौती कम नहीं है. संकल्प पत्र में किए गए वादों को पूरा करने के लिए बजट जुटाना पहली चुनौती होगी. प्रदूषण से भी जंग लड़ने के लिए योजना तैयार करनी होगी. यमुना की सफाई की भी तैयारी करनी होगी. कच्ची कॉलोनी और झोपड़ियों में जरूरी सुविधाएं उपलब्ध करानी होगी. शिक्षा और स्वास्थ्य के मोर्चे पर नई सरकार को बड़े स्तर पर काम करना होगा. लेकिन दिल्ली की जीत से भाजपा उत्साहित है. देखना होगा कि इसी साल के अंत तक बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में उसका प्रदर्शन कैसा रहता है?
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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