रांची(RANCHI): झारखंड में नक्सलवाद की जड़ शुरू से ही मजबूत है. सुरक्षा बल के जवान लगातार नक्सलवाद के खिलाफ अभियान चला कर नक्सली को खत्म करने में लगे है. लेकिन नक्सलवाद तब खत्म होगा जब उसके आर्थिक तंत्र को कमजोर ना कर दे. इसे लेकर भी सुरक्षा बल के जवान लगातार कार्रवाई कर रहे है. हाल के दिनों में अफीम की खेती कर मोटी रकम की कमाई कर रहे है. फिर उस पैसे से हथियार गोला बम बारूद खरीद कर तांडव मचाते है.
एक दिन पहले ही अफीम की खेती नष्ट कर लौट रही पुलिस टीम पर नक्सलियों ने हमला बोल दिया. चतरा के जोरी थाना क्षेत्र में मुठभेड़ हुई जिसमें दो जवानों की शहादत हो गई. एक ज़िंदगी और मौत से जंग लड़ रहा है. दरअसल तीन थाना की पुलिस संयुक्त टीम बना कर अफीम की खेती को नष्ट करने जंगल में गई थी. पुलिस को सूचना मिली थी की बड़े पैमाने पर अफीम की खेती की गई है. गाँव के लोगों को डरा धमका कर खेती करा रहे है. लेकिन पुलिस को अंदाजा नहीं था की अफीम की खेती नष्ट कर वापस जाने में दो साथी वापस नहीं लौट पाएंगे. नक्सलियों ने घेर कर हमला कर दिया.
अगर बात अफीम की करें तो अधिक ग्रामीण इलाके में अफीम की खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है. चतरा, खूंटी,रांची और लातेहार के जंगली इलाकों में ग्रामीणों से नक्सली अफीम की खेती कराते है. इसक एवज में नक्सली कुछ पैसा भी देते है. रांची के तमाड़, बुंडु, ठाकुरगांव जैसे सुदुर्वती इलाके में अफीम की खेती लहलहाती है. वहीं खूंटी के अड़की, कर्रा, सायकों जैसे जंगली इलाकों में बेखौफ खेती की जाती है. खूंटी-रांची में PLFI संगठन अफीम की खेती से पैसा बनाता है. इसके अलावा चतरा लातेहार में TSPC संगठन सक्रिय है.
अफीम की खेती के जरिए ही झारखंड में नक्सली खूनी खेल खेल रहे है. खतरनाक साजिश रच कर वारदात को अंजाम देते है.अफीम की खेती को नष्ट करने को लेकर लगातार अभियान जारी है. सभी इलाकों में स्थानीय पुलिस बीच बीच में जागरूकता अभियान भी चलाती है. जिससे होने वाले नुकसान और हानि को लोगों को बताती है. बावजूद इन सब से नक्सलियों के डर और झांसे में आकार ग्रामीण खेती करने को तैयार हो जाते है.
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